कैसे जिंगल बेल बना फेमस क्रिसमस सॉग, जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी
इस समय पूरे विश्व में क्रिसमस की धूम है। बड़े-बच्चे बूढ़े हर किसी में इस त्योहार को लेकर उत्साह है। क्रिसमस का नाम आते ही हमारें मन-मस्तिष्क में एक ही चीज आती है, हम एक चीज की कल्पना करते है। सफेद बर्फीली वादियों में सफेद दाढ़ियों, मोटा चश्मा और सफेद-लाल कपड़े वाले सैंटा क्लाज, जो क्रिसमस की रात घरों पास से चुपचाप गुजरता है और बच्चों को चुपके से उनके तकिए के नीचे गिफ्ट रखकर चला जाता है।
इसके साथ ही हमारें ज़हेन में एक घंटी की आवाज और एक गीत, जिंगल बेल...जिंगल बेल, सॅाग चलता, लेकिन क्या आपको पता है कि ये जिंगल बेल सॉग कब बना सैटां क्लाज और क्रिसमस की पहचान और किसने बनाया था ये गीत। आज हम आपको बताते हैं जिंगल बेल सॉग के पीछे की क्या कहानी है।
जिंगल बेल, एक थैंक्सगिविंग सॉग है। जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट नाम के म्युजिक डायरेक्टर ने लिखा था। वो जार्जिया के सवाना के रहने वाले थे, यह गीत सबसे पहले 1857 में आम दर्शकों के सामने गाया गया था। शुरूआत में इस सॉग का क्रिसमस या सैंटा क्लाज से कोई संबंध नहीं था। तब इसे 'वन हॉर्सओपन स्लेई' के नाम से जाना जाता था। लेकिन बाद में जब सॉग सैंटा क्लाज के साथ जुड़ गया तब से इसे जिंगल बेल के नाम से जाना जाने लगा।
इस गीत की सबसे मजेदार बात है कि इस गीत में कहीं भी क्रिसमय का जिक्र नहीं है, लेकिन आज ये इस गाने के बिना क्रिसमस का त्योहार अधूरा लगता है। जिगंल बेल सॉग 1890 में बहुत मशहूर हो गया था। इसके बाद से ही ये गाना क्रिसमस सॉग के रूप में गाया जाने लगा था।
यहां तक की सैंटा क्लाज के हाथ की घंटी जो उनके आने की सूचना देती है, इसे जिंगल बेल के नाम से जाना जाने लगा। 6- जिंगल बेल सॉग कई बार हालीवुड और बालीवुड की फिल्मों में इस्तमाल किया गया है। आज इस गाने के कई वर्जन बन गये हैं। ये गाना आज मराठी और भोजपुरी भाषा में भी उपलब्ध है।
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