सात साल से स्ट्रीट डॉग्स का सहारा बनी हुई है वाराणसी फॉर एनीमल संस्था, बेज़ुबानों को मिलता है यहाँ अपनापन
वाराणसी। शहर से लेकर गांव तक सड़क से लेकर गलियों तक स्ट्रीट डॉग्स हमेशा दिखाई देते हैं। इन स्ट्रीट डॉग्स के साथ अक्सर दुर्घटनांए भी घटती हैं। इन्हे सड़कों पर तड़पते देखा जा सकता है। अक्सर गाड़ियों से एक्सीडेंट होता है जिससे ये घायल हो जाते हैं। गलियों-सड़कों पर दर्द से तड़पते इन स्ट्रीट डॉग्स के लिए मसीहा बनी हुई है वाराणसी के पड़ाव स्थित 'वाराणसी फॉर एनीमल संस्था।' इस संस्था ने पिछले सात सालों में हज़ारों स्ट्रीट डॉग्स का निशुल्क मेडिकल ट्रीटमेंट और नसबंदी की है।
भागदौड़ की ज़िन्दगी में लोग अपनों से दूर होते चले गए हैं पर कोरोना काल ने लोगों एक दुसरे के इमोशन से एक बार फिर से बाँध दिया है। इन्ही सब के बीच वाराणसी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पिछले कई सालों से बेज़ुबानों के इमोशंस की कदर कर रहे हैं और उन्हें उनके दुःख में सहायता कर उन्हें स्वस्थ और खुशहाल बना रहे हैं। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के पड़ाव क्षेत्र में चलने वाली वाराणसी फॉर एनीमल संस्था के बारे में।
जरूरी नहीं है कि हर किसी के मन में इन बेजुबानों के लिए करुणा और दया का भाव हो क्योंकि अक्सर हम राह चलते देखते हैं कि इन बेजुबानों को कई लोग दया भाव रखते हैं और कई इसके ठीक विपरीत होते हैं। ऐसे में वीएफए संस्था हर सम्भव इनका सहारा बनी है। फिर चाहे कोरोनाकाल में लगे लॉक डाउन के समय में बनारस के हर कोने में पहुंचकर इनको खाना, दवा ही क्यों ना देना हो। ये संस्था पूरी लगन और समर्पण भाव के साथ इनलोगों के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
संस्था के सेंटर मैनेजर सनदिलीप सेनगुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि वो इस संस्था से 2015 में जुड़े थे और तब से वो इन बेसहारा बेजुबानों के लिए निरंतर कार्यरत हैं। पूरे लॉक डाउन के दौरान वाराणसी के अलग - अलग इलाकों में रोजाना स्ट्रीट डॉग को खाना मुहैया कराने के लिए ये और इनकी टीम लगी रहती थी। इसी कड़ी में जून माह में 20 किलो के डॉग फूड बैग एनिमल लवर को वितरित किया जा रहा है ताकि कोई भी स्ट्रीट डॉग भूखा नहीं रहे। अब तक पड़ाव, सिगरा, भेलूपुर, रविंद्रपुरी,अर्दली बाजार, गिलट बाजार, बाबतपुर आदि कई जगहों पर डॉग फ़ूड के पैकेटों का वितरण कर चुके हैं और आगे भी करते रहेंगे।
इसके अलावा ये संस्था डॉग्स का रेस्कयू करने का काम कर रही है और अब तक करीब पांच हजार से ज्यादा डॉग्स का रेस्कयू कर चुकी है। इतना ही नहीं ए बी सी प्रोग्राम के तहत ये संस्था इन डॉग्स की नसबंदी करने का भी काम कर रही है, जिसमें अबतक बनारस के अंदर और बनारस के बाहर के डॉग्स की नसबंदी कर उनको तीन दिनों तक अपने पास रखकर फिर उनके इलाके में छोड़ने का भी काम करती है। इस कड़ी में अब तक लगभग 15 हजार से भी ज्यादा डॉग्स का नसबंदी किया जा चुका है।
सेनगुप्ता बताते हैं कि इस दौरान कई तरह की समस्याओं से भी जुझना होता है। लोगों द्वारा समय पर सही मदद नहीं मिलती तो परेशानी होती है, कहीं ना कहीं ये सही भी है। अगर लोगों में इतनी जागरूकता आ जाये और ज्यादा ना सही थोड़ी भी मदद कर दे फिर वो मदद आर्थिक रूप में हो या किसी और रूप में तो इनके हौसले और बढ़ जाएंगे।
सेंटर मैनेजर सनदिलीप का कहना है कि किसी भी तरह का कोई भी बेजुबान यदि आपके इलाके में कष्ट में है तो आप इस नम्बर पर 7379845071 कॉल करके जानकारी दे सकते हैं। कोई भी अगर इनकी संस्था को किसी प्रकार से मदद करना चाहे तो कर सकता है।
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