क्या आपमें भी है आस्था जितना हौसला ? 20 साल से बेड पर लेटे-लेटे ही पूरी की पढ़ाई, बन गयीं ग्राफिक डिजाइनर, चलाती हैं यूट्यूब चैनल
ये लेख वाराणसी के समाजसेवी एवं दिव्यांग बंधु के नाम से प्रसिद्ध डॉक्टर उत्तम ओझा के फेसबुक वॉल से साभार है।
आज हम आपका परिचय कराते हैं वाराणसी की रहने वाली आस्था से। इनका नाम आस्था है लेकिन जीवन के प्रति जो सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो जीवन जीने के प्रति उनकी आस्था है, वह हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत का काम करेगी।
भेलुपूर के रेवड़ी तालाब इलाके में रहने वाली 34 वर्षीय आस्था दिव्यांग हैं। वह एक ऐसी बीमारी से ग्रसित हैं जो लाखों करोड़ों लोगों में 1 लोगों को होती है। इनके शरीर की हड्डियां 100 जगहों से टूटी है, जो शरीर में 12 ऑपरेशन होकर राड लगे हुए हैं। सन 2002 में किसी तरह से व्हीलचेयर पर इंटर पास करके आई आस्था। आज 20 वर्ष हो गया लेकिन वह अपने बेड पर से उठ नहीं पाई।
अस्थियां इतनी कमजोर है कि उनकी हड्डियां बैठने में भी टूट सकती है, इसलिए हमेशा लेटे रहती है। लेकिन जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण होने के कारण इन्होंने अपना हौसला नहीं छोड़ा और और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कंप्यूटर के जरिये इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से डिग्री ली और आज एक ग्राफिक डिजाइनर के रूप में काम कर रही हैं। इन्होंने अपना यूट्यूब चैनल खोला है और सारे वो काम करती हैं कर ही जो एक सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता है। बेड पर लेटे लेटे अपने माउस से इनकी अंगुलियां कंप्यूटर पर चलती रहती है।
इनके जीवन में जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये कि इन्होंने गली में घूमने वाले लावारिस पशुओं के लिए एक संस्था बनाई है। संस्था रजिस्टर्ड है और उस संस्था के माध्यम से यह जीव संरक्षण का कार्य कर रही हैं।
आज मैं उनके आवास पर गया और मिलना हुआ। इनकी हिम्मत और हौसले को देखकर मैं अचंभित रह गया। किसी भी प्रकार की कहीं से कोई सहयोग सहायता न मिलने के बावजूद इनमें जितना आत्मबल है, मैंने कहीं किसी दिव्यांग तो दूर सामान्य जन मे भी नहीं देखा।
मेरी पोस्ट बहुत से लोग पढ़ रहे होंगे और पढ़ेंगे। निश्चित रूप से अगर तकनीकी रूप से ऐसा कुछ संभव हो, जिससे वो कभी भी व्हीलचेयर पर बैठ सकें तो कितना अच्छा होगा। अगर कोई इंजीनियर उनके लिये इस प्रकार की डिजाइन का व्हीलबेड भी बना सके जिससे वे अपना मूवमेंट कर सकें। ऐसी उनकी इच्छा है। 20 वर्षों से इन्होंने धूप नहीं देखा। आस्था हरियाली देखना चाहती हैं, धूप देखना चाहती हैं।
मेरी पोस्ट को पढ़कर अगर कोई तकनीकी जानकार इस प्रकार का सहयोग दे तो यह एक बहुत ही सार्थक कदम होगा। आप सब से अनुरोध है कि ऐसे अपने दिव्यांग बहन का हौसला अफजाई करें।
दिव्यांग बंधु डॉक्टर उत्तम ओझा
8090000554
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