दिल्ली-बनारस बुलेट ट्रेन की कवायद तेज, मंडुआडीह में बनेगा फुल एसी स्टेशन, 2030 तक पूरा होगा काम
वाराणसी। देश की राजनीतिक राजधानी नई दिल्ली से सांस्कृतिक राजधानी काशी को तेज गति से जोड़ने के लिये शुरू होने जा रहे बुलेट ट्रेन प्रोजक्ट की कवायद अब तेज होती दिख रही है। वाराणसी के बनारस (मंडुआडीह) रेलवे स्टेशन और नई दिल्ली के बीच फर्राटा भरने जा रही बुलेट ट्रेन के लिये कुल 13 स्टेशन बनाये जाएंगे। इसका आखिरी स्टेशन बनारस (मंडुआडीह) में बनेगा। बताया जा रहा है कि यह स्टेशन पूरी तरह वातानुकूलित होगा, जहां विश्व स्तरीय सुविधाएं यात्रियों के लिये मौजूद होंगी।
लागत 1 लाख 71 हजार करोड़
गौरतलब है कि दिल्ली वाराणसी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर भारत का दूसरा हाईस्पीड रेल कॉरीडोर है। इससे पहले मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कॉरिडोर पर कार्य शुरू हो चुका है। कुल 865 किलोमीटर के दिल्ली वाराणसी हाईस्पीड रेल कॉरीडोर के लिये जनवरी महीने में लिडर तकनीक से सर्वे का कार्य शुरू हो चुका है। दिल्ली से वाराणसी तक चलने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना की इस्टीमेट लागत अभी 1,71,000 करोड़ रुपये लगायी गयी है।
2030 तक दौड़ने लगेगी बुलेट ट्रेन
बीते साल 29 अक्टूबर 2020 को नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने रेल मंत्रालय को दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना से संबंधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) सौंप दिया है। इसके बाद जनवरी 2021 से इस प्रोजेक्ट के लिये लिडार तकनीक से सर्वे का कार्य भी शुरू हो चुका है। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 9 साल लगेंगे। 2030 में इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद दिल्ली से वाराणसी के बीच 320 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा।
दिल्ली-बनारस के बीच होंगे 13 स्टेशन
नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से तैयार किये जा रहे दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन ट्रैक पर फिलहाल 13 स्टेशन होंगे। इनमें नई दिल्ली, नोएडा, मथुरा, आगरा, इटावा, साउथ कन्नौज, लखनऊ, अयोध्या, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही और बनारस (मंडुआडीह) होंगे। ये सभी स्टेशन पूरी तरह से वातानुकूलित होंगे।
देश के कई शहरों को तेज गति से जोड़ेगी बुलेट ट्रेन
मुम्बई-अहमदाबाद और दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के अलावा नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड देश के विभिन्न शहरों को आपस में तेज गति से जोड़ने के लिये आगामी प्रोजेक्ट पर भी कार्य कर रही है। इनमें वाराणसी से हावड़ा (760 किमी), मुम्बई से नागपुर (753 किमी), दिल्ली से अहमदाबाद (866 किमी), चेन्नई से मैसूर (435 किमी), दिल्ली से अमृतसर (459 किमी) और मुम्बई से हैदराबाद (711 किमी) के प्रोजेक्ट शामिल हैं।
उम्मीद जतायी जा रही है कि इन सभी रूटों पर जापान के हिताची-कावासकी हेवी इंडस्ट्रीज़ द्वारा निर्मित ई5 सिरीज के शिनकासिन बुलेट ट्रेनों को दौड़ाया जाएगा।
एलिवेटर पर और अंडरग्राउंड दौड़ेगी बुलेट ट्रेन
दिल्ली से बनारस चलने वाली बुलेट ट्रेन के लिए हाई स्पीड कॉरिडोर बनाया जाएगा। यह 9 से 10 मीटर ऊंचा ऊपरगामी होने के साथ कई जगह पर अंडरग्राउंड भी होगा। यह हाई स्पीड कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के 22 जिलों और दिल्ली के दो जिलों से होकर गुजरेगा। बनारस में ये कॉरिडोर दो तहसीलों राजातालाब और सदर के तकरीबन 30 गांव से गुजरेगा।
दो से चार गुना तक मिलेगा मुआवजा
इस परियोजना में कुल दिल्ली और यूपी के कुल 794 गांव शामिल हो रहे हैं। कुल 2324 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता हैं, जिसमें 1735 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण किया जाना है। आंकलन के अनुसार, बनारस में ही इसके लिये तकरीबन सौ हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की जरूरत होगी। प्रत्येक गांव में भूमि अधिग्रहण के लिए समिति बनाई जाएगी तथा समाचार पत्र में अधिग्रहण की सूचना दी जाएगी। अबतक मिली जानकारी के अनुसार अधिग्रहण के वक्त ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट से चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में दो-गुना मुआवजा दिया जाएगा।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।