वाराणसी : वरुणा तट पर रामेश्वर का प्रसिद्द लोटा-भंटा मेला शुरू, पुण्य की डुबकी के बाद बाटी-चोखा की धूम

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वाराणसी। हरहुआ में रामेश्वर का सुप्रसिद्ध लोटा-भंटा मेला आस्था और विश्वास के साथ गुरुवार को लगा। श्रद्धालुओं ने वरुणा की धारा में आस्था और पुण्य की डुबकी लगायी और मंदिर में मत्था टेक मंगल कामना की। इसके बाद मंदिर से लेकर आस-पास के खलिहान, बागीचों और धर्मशालाओं में अहरा लगाकर दाल-बाटी-चोखा बनना शुरू हो गया। 

देव दीपावली बीतने के बाद लोटा-भंटा का मेला आस्था का प्रतीक माना जाता है। वाराणसी के जंसा, रामेश्वर, पंचशिवाला-हरहुआ के बीच वरुणा नदी के कछार पर तहसील राजातालाब व पिंडरा क्षेत्र में हर साल मार्गशीर्ष (अगहन) महीने की षष्ठी तिथि को यह मेला लगता है।  गुरुवार को ब्रह्मबेला से ही आस्थावानों का रेला वरुणा में डुबकी लगाने के लिए आतुर दिखा। 

रामेश्वर महादेव मंदिर के महंत आचार्य पं अनूप तिवारी ने बताया कि पावन पर्व पर आदि गंगा वरुणा नदी में स्नान कर दर्शन पूजन से कामना पूर्ण होती है। प्रसाद के रूप में यहां बाटी-चोखा, दाल बनाकर भोले बाबा को चढ़ाने के बाद सगे सम्बन्धियों को खाने-खिलाने व मेला देखने का प्रचलन है। मेले में आने वाले श्रद्धालु पहले विष्णु के दाहिने चरण के अंगूठे से निकल कर बहने वाली आदि गंगा वरुणा नदी में स्नान करते हैं। स्नान के बाद रामेश्वर महादेव सहित विभिन्न देवालयों में दर्शन-पूजन करते हैं और प्रसाद स्वरूप बाटी चोखा ग्रहण करते हैं।

आचार्य पं अनूप तिवारी ने बताया कि मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने यहां वरुणा नदी की एक मुट्ठी रेत से शिवलिंग की स्थापना की थी। शिव व राम का पहला मिलन स्थल जिसे रामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां सिधिया नरेश ने विशाल घाट व मंदिर का निर्माण कराया। रावण वध के बाद भगवान श्रीराम को ब्रह्महत्या का पाप लग गया, जिसका प्रायश्चित करने के लिए श्रीराम ने अन्न का त्याग किया। 

आचार्य पं अनूप तिवारी ने आगे बताया कि इसके बाद श्रीराम काशी आए और यहां एक मुट्ठी रेत का शिवलिंग बनाकर एक लोटा जल चढ़ाया। वहीं बाटी-चोखा बनाकर भगवान शिव को भोग लगाया। प्रसाद खाने के बाद भगवान ने अपना व्रत तोड़ा। तभी से श्रद्धालुओं के लिए लोटा-भंटा का मान आस्था का केंद्र बन गया। मान्यता यह भी है कि निःसंतान दंपतियों के लिए रामेश्वर महादेव की पूजा व बाटी-चोखा का प्रसाद अत्यंत कल्याणकारी और फलदायक है।

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