सोमेश के प्रयासों का दिखने लगा असर, काशी में जल्द लग सकती है महाराज विभूति नारायण सिंह की विशाल प्रतिमा
वाराणसी। बनारस राजघराने के अंतिम महाराज स्वर्गीय डॉ विभूति नारायण सिंह की विशाल प्रतिमा जल्द ही काशी में लगने वाली है। इसे लेकर प्रशासनिक स्तर पर कागजी कार्रवाई तेज हो गयी है। बनारस के युवा उद्यमी सोमश राय की ओर से इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की गयी थी, जिसके बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आ चुका है।
अपर जिलाधिकारी (प्रोटोकॉल एवं पर्यटन) की ओर से जिलाधिकारी वाराणसी को भेजे गये पत्र में सोमेश राय के पीएम को लिखे गये पत्र का संदर्भ लेने का निवेदन किया गया है। इस संबंध में अपर जिलाधिकारी (प्रोटोकॉल एवं पर्यटन) की ओर से 28 जून 2021 को पुलिस कमिश्नर के अलावा नगर आयुक्त, उप जिलाधिकारी सदर, अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग, अधिशासी अधिकारी रामनगर पालिका परिषद् को जांच के लिये पत्र भेजा जा चुका है।

इस संबंध में युवा उद्यमी सोमेश राय ने बताया कि स्वर्गीय महाराज डॉ विभूति नारायण सिंह ही काशी की शान, गरीबों के मसीहा होने के साथ ही काशी की विद्वत परंपरा के वाहक रहे हैं। काशी के ज्यादातर इलाके उनकी निजी सम्पत्ति में शुमार रही है, जिसे उन्होंने काशी के धर्म, आध्यात्म, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिये स्वेच्छा से दान कर दिया। स्वर्गीय महाराज का सम्मान काशी का बच्चा बच्चा आज भी करता है। ऐसे महापुरुष के सम्मान में काशी में उनकी एक विशाल प्रतिमा लगनी ही चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी उन्हें हमेशा हमेशा के लिये याद रखे।
सोमेश राय के अनुसार हमारा प्रयास रंग ला रहा है। वाराणसी प्रशासन की ओर से भी लगातार सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, जल्द ही हम सब के आदरणीय स्वर्गीय महाराज डॉ विभूति नारायण सिंह जी की प्रतिमा काशी में निर्मित होगी।
बता दें कि पूर्व काशीनरेश स्वर्गीय डॉ विभूति नारायण सिंह जी का जन्म 5 नवंबर 1927 को हुआ था। उन्हें जून 1934 में काशनरेश महाराज आदित्य नारायण सिंह ने गोद लिया था। 4 अप्रैल 1939 को महाराज आदित्य नारायण सिंह का देहांत होने के बाद डॉ विभूति नारायण सिंह को काशी नरेश घोषित कर दिया गया। अजमेर के मेयो कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने वाले डॉ विभूति नारायण सिंह ने बाद में संस्कृत में उच्च शिक्षा बीएचयू से हासिल की। डॉ विभूति नारायण सिंह, संस्कृत और वेद-पुराणों के अच्छे ज्ञाता रहे।
15 अक्टूबर 1948 को बनारस स्टेट का विलय भारत संघ में हो गया। इसके बाद बनारस राज घराने की सेना का विलय भी पीएसी में कर दिया गया। आजादी के बाद लंबे अर्से तक स्वर्गीय महाराज बीएचयू के कुलाधिपति रहे। उन्होंने विश्व संस्कृत प्रतिष्ठाानम्, अखिल भारतीय काशीराज न्यास और काशीराज ट्रस्ट की भी स्थापना की। 1983 में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के सरकार द्वारा अधिग्रहण के बाद महाराज विभूति नारायण सिंह को काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया था। भदोही के ज्ञानपुर और मऊ जिले के सूरजपुर में आज भी महाराज विभूति नारायण सिंह के नाम पर क्रमश: पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज और इंटरमीडिएट कॉलेज स्थापित हैं। 25 दिसंबर 2000 को महाराज डॉ विभूति नारायण सिंह का निधन हो गया। अपने पीछे वे एक पुत्र (महाराज कुंवर डॉ अनंत नारायण सिंह) और तीन पुत्रियां (महाराज कुमारी विष्णु प्रिया, महाराज कुमारी कृष्ण प्रिया और महाराज कुमारी हरिप्रिया) छोड़ गये।

