सुपुर्दे ख़ाक हुए बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी अब्दुल कलाम
वाराणसी। बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी अब्दुल कलाम साहब को शनिवार अर्रा स्थित उनके खानदानी कब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक किया गया। इस मौके पर बाईसी तंजीम के कार्यवाहक सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा अपनी पूरी काबीना के साथ मिटटी में मौजूद थे। सरदार की अंतिम यात्रा में हज़ारों की संख्या में बुनकर बंधू पहुंचे थे। जनाजे की नमाज़ सरदार साहब के बड़े पुत्र स्वालेह अंसारी ने पढ़ाया।
बाईसी तंजीम के कार्यवाहक सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा ने बताया की सरदार हाजी अब्दुल कलाम साहब ने बहुत ही कम समय में ही बुनकर समाज में अपने नेक कामों से लोकप्रियता हासिल कर ली थी। उसी का नतीजा था की आज उनकी मिटटी में हजारो हज़ार बुनकर अपनी अपनी कारोबार बन्द कर शामिल हुए। सभी ने अपनी नम आंखो से उनको सुपुर्दे खाक किया। उनके चाहने वालो में हिन्दू भाई भी बड़ी तादाद में सरदार साहब को मिटटी देने पहुचे थे।
उन्होंने कहा कि हाजी कलाम साहब की भरपाई करपाना मुश्किल है। वो बुनकर समाज की एक मज़बूत कड़ी थे जो आज हम सब को छोड़ कर चले गये ।
मिटटी देने वालो में शामिल तंज़ीम बाईसी के हाजी मंजूर, हाजी हाफिज नसीर, सरदार मक़बूल हसन, सरदार हासिम अंसारी, हैदर महतो, फैसल महतो, आसिफ अंसारी, परवेज़ अंसारी, सरदार अतिकुल्ला अंसारी, सरदार नूरुद्दीन, हाजी इश्तियाक, हाजी यासीन महतो, बाबूलाल किंग, अफ़रोज़ अंसारी, हाजी ओकास अंसारी, गुलशन अली, सीताराम केशरी, बेलाल अंसारी हाजी बाबू, समीम अंसारी, अतीक अंसारी, अनवारुल हक़, किशन दीक्षित, पूर्व विधायक हाजी अब्दुल समद अंसारी, इस्तक़बाल कुरैशी, हाजी बाबू, हाजी महबूब अली, हाजी नेसार, हाजी अब्दुल रहीम, मोहम्मद हारुन, हाजी यासीन अंसारी, रेयाज़ अहमद, मौलाना शकील सहित हजारो की तादाद में बुनकर बिरादरी के लोग शामिल हुए।




