IIT-BHU में बनेगी सड़क अनुसंधान प्रयोगशाला, GRIL के साथ नितिन गडकरी की वर्चुअल उपस्थिति में समझौता

IIT BHU में बनेगी सड़क अनुसंधान प्रयोगशाला, GRIL के साथ नितिन गडकरी की वर्चुअल उपस्थिति में समझौता

वाराणसी/ लखनऊ। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) और जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने सड़कों की गुणवत्ता के सुधार के लिए सड़क अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापना के लिए ऑनलाइन मोड के माध्यम से शुक्रवार को एक समझौता मैमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और विनोद कुमार अग्रवाल अध्यक्ष जीआरआईएल द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सड़क, परिवहन और राजमार्ग और एमएसएमई नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और लोक निर्माण विभाग केशव प्रसाद मौर्य भी वर्चुअल रुप से मौजूद रहे।


 
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस उपलब्धि पर आईआईटी (बीएचयू) और ग्रिल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सड़कों की गुणवत्ता को और अधिक सुधारा जाए, साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी मदद मिले, यही हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ग्रिल जैसी निजी सेक्टर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का इस विषय पर साथ काम करना सराहनीय बात है। 

उन्होंने आईआईटी के शोधकर्ताओं का आह्वान किया कि सड़क और पुलों के निर्माण में स्टील और सीमेंट का उपयोग कम करने के लिए शोध आवश्यक है। गडकरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व में नवीन तकनीकी का इस्तेमाल करके अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया गया है जो अन्य प्रांतों के लिए भी उपयोगी है।

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह एमओयू सड़क निर्माण की गुणवत्ता बढ़ाने और खर्चों को कम करने के लिए बेहद परिणामकारी होगा। केशव प्रसाद मौर्य ने अपने संबोधन में कहा कि काशी से शुरू किए गए इस समझौते के दूरगामी परिणाम हासिल होंगे। नवीन तकनीकी से सड़कों के सुधार के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वह सराहनीय हैं। 

इस संबंध में उन्होंने नितिन गडकरी को उनके द्वारा दिए जा रहे सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा की नई तकनीक के सड़कों में इस्तेमाल से आर्थिक बोझ तो कम हुआ ही है, पर्यावरण संतुलन की दिशा में भी हम आगे बढ़े हैं। समन्वय बनाकर इस दिशा में जब काम होगा तो कोई व्यवहारिक कठिनाई भी नहीं आएगी। 

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नई तकनीक के इस्तेमाल से लगभग 1500 करोड़ रुपये की बचत हुई है और पर्यावरण संतुलन में योगदान करने में भी हम सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी आईआईटी की प्रतिभाओं का उपयोग होना चाहिए। उप मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि एमओयू के सार्थक व सकारात्मक परिणाम हासिल होंगे और हम सफलता के नए मुकाम पर पहुंचेगे। 
        
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि यह समझौता ज्ञापन 5 साल की अवधि के लिए लागू रहेगा। संस्थान के शिक्षाविद और देश के अन्य एक्सपर्ट राजमार्ग सुरक्षा विकास परियोजना के तहत सड़क सुरक्षा, पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों से संबंधित अध्ययन करेंगे। इस एमओयू का मुख्य उद्देश्य देश में टिकाउ और पर्यावरण के अनुकूल सड़कों के निर्माण के प्रति रिसर्च रहेगा। 

इसमें बिटुमिनस (डामरी) मिक्स की रिसाइक्लिंग, भारतीय सड़कों के लिए मैकेनिस्टिक फुटपाथ डिजाइन और साॅलिड वेस्ट मैटेरियल्स से पेवमेंट बनाने पर शोध, बिटुमिनस मिक्स के लिए पर्फामेंस बेस्ड मिक्स डिजाइन का विकास करना प्रमुख लक्ष्य रहेगा। उन्होंने बताया इस प्रोजेक्ट को संस्थान में लाने में सिविल इंजीनियरिंग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डाॅ निखिल साबू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  

कार्यक्रम का संचालन संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डा अंकित गुप्ता ने किया। इस अवसर पर संस्थान से प्रोफेसर राजीव प्रकाश, डीन, रिसर्च एंड डेवलेपमेंट, प्रोफेसर एसबी द्विवेदी, डीन, एकेडमिक अफेयर्स, आईआईटी के अल्यूनी अमित भसीन, आरके पांडेय, मेंबर प्रोजेक्ट, एनएचएआई, मनोज कुमार मेंबर प्रोजेक्ट एनएचएआई, एसके निर्मल, जनरल सेक्रेटरी, भारतीय सड़क कांग्रेस आदि लोग उपस्थित रहे।

एमओयू हस्ताक्षर के अवसर पर केंद्रीय मंत्री सड़क, परिवहन और राजमार्ग और एमएसएमई नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और लोक निर्माण विभाग केशव प्रसाद मौर्य और उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी आदि वर्चुवल रूप से उपस्थित रहे।

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