पद्म पुरस्‍कार 2022 : काशी से जुड़ी सात वि‍भूति‍यां हुईं अलंकृत, एक पद्म वि‍भूषण, दो पद्म भूषण, चार को पद्मश्री सम्‍मान

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वाराणसी। गणतंत्र दि‍वस की पूर्व संध्‍या पर भारत सरकार ने प्रति‍ष्‍ठि‍त पद्म सम्‍मानों की घोषणा कर दी है। इस बार कुल 128 वि‍भूति‍यों को पद्म सम्‍मानों से अलंकृत कि‍या जा रहा है। हर बार की तरह इस बार भी धर्म, आध्‍यात्‍म और संस्‍कृति‍ की राजधानी कही जाने वाली काशी से जुड़ी वि‍भूति‍यों को भी भारत के सर्वोच्‍च नागरि‍क सम्‍मानों से अलंकृत कि‍या गया है। पद्म वि‍भूषण सम्‍मान के लि‍ये गीताप्रेस के राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत इस अलंकरण से वि‍भूषि‍त कि‍या जा रहा है। इसके अलावा संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्वान प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी को पद्म भूषण से सम्‍मानि‍त कि‍या गया है। इसके अलावा गुजरात के स्‍वामी सच्‍चि‍दानंद को भी पद्म भूषण से सम्‍मानि‍त कि‍या गया है। इनका भी काशी से वि‍शेष रि‍श्‍ता है। साथ ही बीएचयू के चि‍कि‍त्‍सा वि‍ज्ञान संकाय के प्रख्यात नेफ्रोलॉजिस्ट प्रो. कमलाकर त्रिपाठी, 125 साल के बाबा शिवानंद, सितारवादक पंडित शिवनाथ मिश्र, कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव को पद्मश्री के लिए चयनित किया गया। 

राधेश्‍याम खेमका : साहि‍त्‍य एवं शि‍क्षा के क्षेत्र में पद्म वि‍भूषण 

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गोरखपुर स्थित गीता प्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सनातन पत्रिका के संपादक रहे राधेश्याम खेमका ने अपनी अंतिम सांस वाराणसी के केदारघाट स्थित अपने निवास स्थान पर ही ली थी। वह कई साल तक गीता प्रेस से जुड़कर सनातन धर्म की पत्र-पत्रिकाओं का संपादन करते रहे। उनके निर्देशन में कल्याण की 9 करोड़, 54 लाख, 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं। वह वाराणसी की कई बड़ी संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल, बिड़ला अस्पताल और काशी गोशाला ट्रस्ट से जुड़ रहे।

प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी : साहि‍त्‍य एवं शि‍क्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण

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राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी को पद्म भूषण के लिए चुना गया। वह काशी विद्वत परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं। वह देवरिया के रहने वाले हैं, मगर काफी समय से उनका निवास वाराणसी के नगवां में है। इन्होंने संपूर्णांनंद सस्ंकृत विश्वविद्यालय से नव्यन्यायाचार्य और BHU से न्यायावैशेषिक शास्त्राचार्य की शिक्षा हासिल की है। इसके बाद वह वाराणसी के ही कई महाविद्यालयों में सह प्राचार्य, न्याय प्रवक्ता, न्याय प्राध्यापक, दर्शन विभाग के अध्यक्ष, वहीं बाद में संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय में न्याय प्रवक्ता और न्याय वैशेषिक विद्वान के रूप में जाने गए। उन्हें 2004 में राष्ट्रपति सम्मान मिला। इसके साथ ही दो दर्जन प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

स्‍वामी सच्चिदानंद : साहि‍त्‍य एवं शि‍क्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण 

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गुजरात के रहने वाले स्वामी सच्चिदानंद का नाम भी पद्म भूषण के लिए चयनित हुआ है। बता दें कि‍ स्‍वामी सच्‍चि‍दानंद को वाराणसी के काशी हि‍न्‍दू विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी के समान वेदांतचार्य की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका है। इस प्रकार इनका जुड़ाव भी काशी से रहा है। 

बाबा शिवानंद : योग के क्षेत्र में पद्मश्री 

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बाबा शिवानंद की जीवनयात्रा किसी चमत्कार से कम नहीं है। साल 1896 में जन्में बाबा शिवानंद बंगाल से अपने जीवन की शुरूआत करते हुए काशी पहुंचे। गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद वह योग और धर्म में बड़े प्रकांड पुरुष साबित हुए। 6 साल की अवस्था में बहन, मां और पिता की मौत एक महीने के अंदर ही हो गई। उन्होंने मोह वश माता-पिता को अग्नि देने से ही इन्कार कर दिया। कर्मकांडियों के घोर विरोध के बाद भी चरणाग्नि ही दी। साल 1925 में उनके गुरु ने उन्हें विश्व भ्रमण का निर्देश दिया। 29 वर्षीय शिवा लंदन गए और लगातार 34 साल तक भ्रमण ही करते रहे। अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, रूस आदि देशों की यात्रा से लौटकर जब वह स्वदेश आए तो भारत तब तक अपना 9वां गणतंत्र दिवस मना रहा बाबा आज भी ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करते हैं। उबला भेाजन और सब्जी ही खाते हैं।

पंडित शिवनाथ मिश्र : कला के क्षेत्र में पद्मश्री 

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पंडित रविशंकर के बाद पंडित शिवनाथ मिश्र दूसरे सितारवादक हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है। पंडत शिवनाथ बनारस घराने से हैं। आजकल वे अपने पुत्र पंडित देवब्रत मिश्र के साथ कई अंतरराष्ट्रीय कंसर्ट में शामिल होते हैं। सितार में भारत की शास्ऋीय परंपरा को जीवित रखने का श्रेय इसी जोड़ी को जाता है। पं. शिवनाथ ने कहा कि यह मेरा नहीं बल्कि शास्त्रीय संगीत का सम्मान है। बनारस और यहां के कलाकारों का सम्मान है। यह पद्मश्री मैं काशीवासियों, अपने गुरुजन और बनारस घराने को समर्पित करता हूं।

डॉ कमलाकर त्रि‍पाठी : चि‍कि‍त्‍सा के क्षेत्र में पद्मश्री 

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर कमलाकर त्रिपाठी किडनी के प्रसिद्ध डॉक्टर हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग में पूर्व प्रोफेसर डा. कमलाकर त्रिपाठी को पद्मभूषण सम्मान के लिए चुना गया है। मूल रूप से सिद्धार्थनगर के मदनपुर गांव निवासी डा. त्रिपाठी वाराणसी के रवींद्रपुरी एक्सटेंशन में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस सम्मान का श्रेय उनके गुरु व माता-पिता को जाता है। उन्होंने बताया कि जीवन के चौथे पड़ाव पर मिलने वाला यह सम्मान एक आदर्श है। जिसे जो जिम्मेदारी मिलती है अगर वह ईमानदारी व निस्वार्थ भाव से कार्य करता है तो उसे इस प्रकार के सम्मान जरूर मिलेंगे।

अजीता श्रीवास्‍तव : कला के क्षेत्र में पद्मश्री 

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प्रसिद्ध कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव का जन्म वाराणसी जनपद में हुआ है। प्रसिद्ध कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव पद्मश्री से सम्मानित की जाएंगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से परास्नातक, गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएड व प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर कर संगीत में महारत हासिल की हैं। वर्तमान समय में मि‍र्जापुर आर्य कन्या इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। इन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। सम्मान के लिए चयनित होने पर अजीता श्रीवास्तव ने खुशी जाहिर किया। कहा कि 42 सालों की निरंतर साधना और अथक परिश्रम के बाद सफलता मिली है। मां विंध्यवासिनी को नमन करते हुए सभी को भी धन्यवाद दिया।

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