325 वर्ष में पहली बार खुले मैदान में दर्शन देंगे भगवान धन्‍वंतरि, धनतेरस पर होगी आरोग्य अमृत की वर्षा 

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रिपोर्ट : सोनू कुमार 

वाराणसी। धनतेरस के दिन काशी में सुड़िया स्थित धन्‍वंतरि निवास में भगवान धन्‍वंतरि आरोग्य अमृत की वर्षा करेंगे। इस वर्ष 325 साल होने पर कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन में पहली बार भगवान धन्‍वंतरि के दर्शन कमरे में न होकर खुले मैदान में होंगे। इस बात की जानकारी धन्‍वंतरि निवास में समीर  शास्त्री और राम कुमार शास्त्री ने शनिवार को दी। 

जयंती पर भगवान की प्रतिमा का होता है विशेष शृंगार
समीर शास्त्री ने बताया कि पिछले 324 वर्षों से भगवान धन्वंतरि की जयंती पर उनकी प्रतिमा का विशेष शृंगार किया जाता है और आम जनता को दर्शन सुलभ होते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी 325 वें साल में धनतेरस के दिन दोपहर दो बजे भगवान की प्रतिमा का शृंगार किया जायेगा और शाम 4 बजे से आम लोगों के लिए दर्शन सुलभ होंगे। भगवान की प्रतिमा का दर्शन रात 11 बजे तक किया जा सकेगा । 

BHAGWAN DHANWANTARI

समीर शास्त्री ने बताया कि पिछले कोविड काल में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन कराया गया था। इस वर्ष कोविड गाइडलाइन के अनुसार दर्शन पूजन होगा। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए इस वर्ष पहली बार भगवान धन्वंतरि का दर्शन कमरे में न होकर खुले मैदान मे होगा। उनकी प्रतिमा युक्त सिंहासन को मैदान मे रखकर भव्य शृंगार कराया जायेगा ताकि कोरोना गाइडलाइन का दर्शनार्थी पालन कर सकें। 

बता दें कि काशी ही नहीं पूरे भारत में एकमात्र अष्टधातु के भगवान धन्वंतरि की मूर्ति सुड़िया स्थित धन्वंतरि निवास राजवैद्य स्व. पंडित शिव कुमार शास्त्री के आवास में विराजमान है, जो कि अति प्राचीन लगभग 325 साल पुरानी है। इसके ऊपर चांदी का छत्र मौजूद है। राजवैद्य शिवकुमार शास्त्री का परिवार पांच पीढिय़ों से प्रभु की सेवकाई में रत है। बताते हैं कि उनके बाबा पं. बाबूनंदन जी ने 324 वर्ष पहले धन्‍वंतरि जयंती की शुरुआत की थी। 

चमत्कारी औषधियों का लगाया जाता है भोग
भगवान चांदी के सिंहासन पर विराजमान रहते हैं और उनके चारों हाथों में अमृत का कलश, चक्र, शंख जॉक सुशोभित होते हैं। उनको विशिष्ट चमत्कारी औषधियों जैसे रस, स्वर्ण, हीरा, माणिक, पन्ना, मोती तथा जड़ी बूटियों में केशर, कस्तूरी, अम्बर, अश्वगंधा, अमृता, शंखपुष्पी, मूसली आदि का विशेष भोग लगाया जाता है। भगवान के अगल बगल विशेष सुगन्धित प्रभावकारी विशेष फूल जो की हिमालय से मंगवाए जाते हैं जिसमें आर्किड, लिली, गुलाब, ग्लेडियोनस, रजनीगंधा, तुलसी, गेंदा से शृंगार कर भव्य आरती कर आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी यहां श्रद्धालुओं का आगमन होता है और लोग दर्शन पाकर अपने को आरोग्य एवं स्वस्थ जीवन जीने का अमृत रूपी प्रसाद पाकर धन्य हो जाते हैं।

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