वाराणसी के इस दुर्गा पंडाल में मां को लगता है मछली का भोग, मना रहा है अपना शताब्दी वर्ष  

Puja Pandal Special Fish Bhog In Varanasi

रिपोर्ट :  राजेश अग्रहरि 

वाराणसी। आज़ादी के पहले मिंट हाउस इलाक़े में बंगाली समाज के लोगों ने दुर्गा पूजा पर मूर्ति स्थापना शुरू की थी। उस वक्त यहां मूर्ति, पंडाल लालटेन की रौशनी से सजाया जाता था, पर साल 1922 से इसे सोनारपुरा में शिफ्ट कर दिया गया। काशी के इस अनोखे और पूर्वांचल के सबसे पुराने दुर्गा पूजा पंडाल में माता को छप्पन भोग के अलावा मछली का भी भोग लगता है जो पूरे बनारस में अकेला है। 

Puja Pandal Special Fish Bhog In Varanasi

इस सम्बन्ध में वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलिनी समिति के अध्यक्ष देबाशीष दास ने बताया कि माता दुर्गा का विशेष पूजन हमारी समिति द्वारा किया जाता है। इस वर्ष हम 100 वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। देबाशीष दास ने बताया कि हमारी दुर्गा प्रतीमा पूरी तरह से  हाथ से दिल्ली और बंगाल के कारीगरों द्वारा यहीं बनायीं जाती है और सभी स्वरुप माता के साथ ही होते हैं। 

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देबाशीष ने बताया कि समिति की विशेषता है कि यहां माता को नवमी के दिन मछली का भोग चढ़ाया जाता है और ये भोग भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। आज नवमी के उपलक्ष्य में हर वर्ष की तरह हमने भंडारे का आयोजन किया है जिसमें 1200 लोगों को खाना खिलाया जाएगा और सभी को प्रसाद स्वरुप माता को भोग लगायी गयी मछली दी जा रही है। 

मछली लेने के लिए उत्सुक अपराजिता घोष ने बताया कि पिछले कई  सालों से माता के दर्शन करने नवमी के दिन इस पंडाल में आ रही हूं और  प्रसाद के रूप में मछली खाती हूं। मछली शुभ का प्रतीक होती है। माता को चढ़ाई मछली खाने से वर्ष भर सुख, समृद्धि और उन्नति बनी रहती है।

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