काशी की मिट्टी में देवी, देवताओं व महापुरूषों के साधान की सुगंध है-संत वसंत विजय महाराज

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वाराणसी। तमिलनाडु के श्रीकृष्णगिरी तीर्थधाम के शक्तिपीठाधीपति राष्ट्रसंत डा. वसंत विजय महाराज ने काशी कोतवाल भैरव उत्सव 2022 के प्रथम दिन बुधवार को भक्तों को काशी की महत्त्ता के बारे में बताया। नरिया-सुंदरपुर मार्ग स्थित रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि भैरव के विभिन्न रूप, स्वरूप, वाहन की विशिष्टताएं हैं। कहाकि काशी के कण-कण में दैवीय शक्ति है। 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ सहित चार तीर्थंकरों का यहां जन्म हुआ। यहां की मिट्टी में पार्श्वनाथ, विश्वनाथ, अनेक देवी देवताओं व महापुरुषों की साधना तप की सुगंध है। संत ने कहा कि इस मिट्टी में मेरे आराध्य प्रभु पार्श्वनाथ महाराज भी नंगे पांव चले थे। घाट-घाट पर उनके चरण पड़े हैं। यही भूमि है जहां हमारे प्रभु ने दीक्षा ग्रहण की थी। इस धरती पर भैरव का पूजन करने का आनंद ही विशेष है।

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शाम के सत्र में तमिलनाडु के चिदंबरम स्थित नटराज मंदिर के 30 विद्वान पंडितों के द्वारा नौ कुंडीय हवन यज्ञ में आहुतियां दी गई। रात्रि में मशहूर भजन गायक कलाकार अभिलिप्सा पंडा द्वारा भक्तिमय प्रस्तुतियां दी गई। इस दौरान श्रीभैरव महाकथा वाचन के दौरान भगवान गणेशजी के 108 नामों से पूजन के उपरांत भक्तों से भाव पूजन कराया।

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इस माके पर उन्होंने कहाकि दुनिया भर से आए श्रद्धालु दैवीय पवित्र धरा काशी में भैरव का सिर्फ पूजन ही नहीं करेंगे अपितु देवतुल्य बनकर भैरव मूर्तियों को निर्मित करने का अवसर भी मिलेगा। उन्होंने कहाकि जिस प्रकार एक संतान को जन्म देने के बाद आप की अगली पीढ़ी सुरक्षित हो जाती है उसी प्रकार एक भैरव की मूर्ति को जन्म दे दिया तो अगली सौ पीढ़ी सुरक्षित हो जाएगी।

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प्रवचन आरंभ करने से पहले वसंत विजय माहाराज ने भक्तों को संकल्प भी कराया। गणेश पूजन के बाद क्षेत्रपाल और द्वारपाल का पूजन श्रीकाशी विश्वनाथ तक प्रार्थना पहुंचाने की कामना से किया। इस दौरान उन्होने भैरवाष्टकम् का पाठ किया। उन्होंने कहा कि संसार श्रद्धा उसकी करता है जिसे जान लेता है। मान लीजिए आधी रात के वक्त कोई आप का दरवाजा खटखटाता है तो पहले तो आप को बुरा ही लगेगा। जब यह पता चलेगा कि वह आपके लिए बहुत बड़ी खुशी का समाचार लाया है। तत्काल आप का व्यवहार, आपकी सोच उसके प्रति बदल जाएगी। जब आप उसके बारे में जान गए तो उसके प्रति श्रद्धा हो गई जब तक नहीं जानते थे उसके प्रति मन में नाराजगी थी अनिच्छा थी।

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आज होगी सौ फीट के विशाल भैरव की स्थापना
संत वसंत विजय ने बताया कि गुरूवार को सौ फीट के भैरवदेव की मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसके साथ ही अष्ट भैरव की 9-9 फीट की मूर्तियां स्थापित की जा रही है। इतिहास में पहली बार एक साथ 4-4 फीट की एक लाख आठ हजार भैरव की मूर्तियों का निर्माण कर एकसाथ पुष्प, दीपक, नवैद्य, धूप आदि से एक साथ पूजन किया जाएगा। 

 

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