BHU में ‘जापानी इंसेफ्लाइटिस’ का मिला पहला संदिग्ध मरीज, जांच के लिए भेजा गया सैंपल

BHU में ‘जापानी इंसेफ्लाइटिस’ का मिला पहला संदिग्ध मरीज, जांच के लिए भेजा गया सैंपल

वाराणसी। कोरोना के बाद अब जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) का खतरा बढ़ा गया है। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में जापानी इंसेफ्लाइटिस एक संदिग्ध मरीज पाया गया है। इसकी जांच के लिए संस्थान के लैब में सैंपल भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद इसकी पुष्टि हो जाएगी। हालांकि संदिग्ध मानकर मरीज का उपचार शुरू हो गया है। 

अस्पताल स्थिति बाल रोग विभाग के वार्ड में मंगलवार को जापानी इंसेफ्लाइटिस का एक संदिग्ध बच्चा आया है। बाल रोग विभाग के प्रोफेसर सुनील राव ने बताया कि इस बच्चे के जापानी इंसेफ्लाइटिस होने की अभी पुष्टि होनी बाकी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। 

हालांकि भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया गया है। प्रसिद्ध वायरोलाजिस्ट एवं मालिक्यूटर बायोलॉजी यूनिट, आइएमएस के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह बताते हैं कि जापानी इंसेफ्लाइटिस एक मच्छर जनित रोग है। यह रोग आमतौर पर क्यूलेक्स मच्छर के लारवा से बढ़ता है।

उन्होंने बताया कि जेई वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में केवल हल्के लक्षण होते हैं, जिसमें बुखार, सर्दी, जुकाम सिरदर्द शामिल हैं। आमतौर पर ये लक्षण संक्रमित होने के पांच से 15 दिनों के बाद सामने आते हैं। इस लिए सभी को सावधान रहना चाहिए।

ये वायरस रक्त के माध्यम से मस्तिष्क में भी प्रवेश कर जाता है। हालांकि जेई की वैक्सीन भी उपलब्ध है। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि वायरस का लोड बढ़ने से बच्चों में पैरालाइसिस या गंभीर अवस्था से वापस आने पर यादाश्त पर भी असर पड़ता है। वहीं माइक्रो बायोलाजी विभाग, आइएमएस के प्रोफेसर गोपाल नाथ ने बताया कि जेई के जांच की पूरी सुविधा मौजूद है। इसकी पुष्टि एंटी बाडी टेस्ट से भी हो सकती है।

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