सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में संचालित होगा आयुर्वेद आहार और पोषण में डिप्लोमा पाठ्यक्रम 

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वाराणसी। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में जल्द ही आयुर्वेद आहार और पोषण में डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन शुरू हो जाएगा। इस बात की जानकारी कुलपति प्रोफ़ेसर हरेराम त्रिपाठी ने दी है। 

कुलपति ने बताया कि हमारी पौष्टिक भोजन स्वास्थ्य की एक महत्त्वपूर्ण आधारशिला है। इसलिए शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए भोजन में उचित मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होनी चाहिए। पोषक तत्वों की अधिकता और कमी-दोनों समान रूप से हानिकारक हैं और व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामुदायिक स्वास्थ्य पर लम्बे समय तक चलने वाले प्रतिकूल प्रभाव हैं। 

इस प्रकार, इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से सम्बन्धित करना और समुदाय को अच्छे स्वास्थ्य और इष्टतम पोषण के महत्व के बारे में जागरूक करना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। अच्छा पोषण, नियमित शारीरिक गतिविधि और पर्याप्त नींद स्वस्थ जीवन के आवश्यक नियम हैं। सम्पूर्ण राष्ट्र में इष्टतम पोषण की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

इसी को दृष्टिगत रखते हुये संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महासचिव श्रीशदेव पुजारी के सहयोग और मार्गदर्शन से आयुर्वेद आहार और पोषण में डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना है जिसका पाठ्यक्रम विशेषज्ञों के माध्यम से बनाकर शीघ्र तैयार कर प्रारम्भ किया जायेगा।

संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महासचिव श्रीशदेव पुजारी ने बताया कि विश्वभर में कुपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, मोटापा और आहार सम्बन्धी गैर-संक्रामक बीमारियों की समस्याओं में लगातार वृद्धि हो रही है। ऊर्जा/पोषण असंतुलन के परिणामस्वरूप शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास, रुग्णता मृत्युदर पर दुष्प्रभाव पड़ने के साथ-साथ मानव क्षमता का बहुपक्षीय नुकसान भी हो सकता है तथा इस प्रकार सामाजिक/आर्थिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

भारत सहित की विकासशील राष्ट्र वर्तमान में कुपोषण के दोहरे बोझ के पोषण-स्पेक्ट्रम के दोनों छोर पर गम्भीर स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। श्रीशदेव पुजारी ने बताया कि इसी को देखते हुये भारतीय चिकित्सा पद्धति से युक्त आयुर्वेद में निहित ज्ञान राशि के द्वारा स्वस्थ जीवन, स्वस्थ विचार के अन्तर्गत आयुर्वेद आहार और पोषण में डिप्लोमा (एक वर्षीय)पाठ्यक्रम संचालित करने से शिक्षा संस्थाओं के माध्यम से एक जनजागरण अभियान प्रारम्भ होगा, लोगों मे अपने स्वास्थ के बारे में सजगता आयेगी।

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