बाबा मसाननाथ के मंदिर में नगर वधुएं करेंगी नृत्य, नहीं मिलेगा आम नागरिकों इस बार प्रवेश 

बाबा मसाननाथ के मंदिर में नगर वधुएं करेंगी नृत्य, नहीं मिलेगा आम नागरिकों इस बार प्रवेश
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वाराणसी। अगले जन्म में अच्छे परिवार में जन्म लेने की अरदास के साथ नगर वधुएं राजा मानसिंह के ज़माने से मणिकर्णिका घाट पर होते चले आ रहे बाबा मसाननाथ के श्रृंगारोत्सव में नाचती चली आ रही हैं। इस वर्ष भी नगर वधुएं सोमवार को इस परम्परा को जिवंत रखते हुए कोविड गाइडलाइन्स के अनुपालन में मंदिर के अंदर ही नृत्य पेश करेंगी। इस दौरान आम व्यक्तियों को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। 

इस सम्बन्ध में मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया कि शहंशाह अकबर के समय मे राजा मान सिंह 16वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। निर्माण के बाद वहां भजन-कीर्तन होना था पर श्मशान होने की वजह से यहां कोई भी ख्यातिबद्ध कलाकर आने को राजी नही हुआ। सभी ने आने से इनकार कर दिया। बाद में नगर वधुओं ने यहां कार्यक्रम करने की इच्छा जाहिर की और राजा ने उनकी इस आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। तब से नगर वधुओ के नृत्य की परम्परा शुरू हुई। शिव को समर्पित गणिकाओं की यह भाव पूर्ण नृत्यांजली मोक्ष की कामना से युक्त होती है।

गुलशन कपूर ने बताया कि चैत्र नवरात्र के सप्तमी तिथि को बाबा के वार्षिक श्रृंगार समारोह की आखरी निशा होती है। इस दिन बाबा को तांत्रिक रूप में सजाया जाता है और इसी दिन सैंकड़ों वर्षों की परम्परा का निर्वहन करने नगर वधुएं बाबा मसाननाथ के दरबार में स्वरांजलि लगाने पहुँचती हैं। सोमवार को भी नगर वधुएं यहाँ हाज़री लगाने आएँगी पर इस वर्ष यह आयोजन कोविड गाइडलाइंस के अनुरूप सांकेतिक रूप से होगा। नगर वधुएं मंदिर में ही नृत्यांजलि पेश करेंगी जिसमे किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं होगा।  

इससे पूर्व तृतीय निशा में सायंकाल पंचमकार का भोग लगाकर तांत्रोकत विधान से भव्य आरती-पूजन मंदिर के पुजारी लल्लू महाराज द्वारा किया जायेगा। ऐसी मान्यता है कि बाबा को मनाने के लिये शक्ति ने योगिनी रूप धरा था। बाबा का प्रांगण रजनी गंधा, गुलाब व अन्य सुगंधित फूलों से सजाया जाएगा।

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