BHU डॉक्‍टरों के सामने गि‍ड़ि‍गड़ाता रहा शोध छात्र, नहीं दि‍या वेंटि‍लेटर, हुई मौत 

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वाराणसी। बढ़ते कोरोना संक्रमण के साथ ही अस्‍पतालों की बदइंतेजामी भी एक बार फि‍र दि‍खने लगी है। ताजा मामला बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्‍पताल से जुड़ा है, जहां वि‍श्‍ववि‍द्यालय के एक सीनि‍यर रि‍सर्च फेलो अभय जायसवाल के कोवि‍ड पॉजि‍टि‍व होने के बाद जब उन्‍हें वेंटि‍लेटर की आवश्‍यक्‍ता हुई तो अस्‍पताल की ओर उन्‍हें वह मुहैया नहीं कराया गया, जि‍ससे उनकी मौत हो गयी। शोध छात्र के परि‍जनों और दोस्‍तों ने इस पूरे मामले में बीएचयू अस्‍पताल के वरि‍ष्‍ठ चि‍कि‍त्‍सकों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। 

शोध छात्र अभय जायसवाल के साथी फणीन्द्र पति पाण्डेय, आकाश पांडेय और अभय की बहन अमृता जायसवाल तथा पूर्व छात्र यति‍न्‍द्र पति‍ पांडेय ने बताया कि‍ विज्ञान संस्थान के भौतिकी विभाग के सीनियर रिसर्च फेलो अभय जायसवाल को बुखार व सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई तो हम सब उन्‍हें सर सुंदर लाल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लेकर गए। वहीं पर एंटीजन टेस्ट हुआ और रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई। इसके बाद अभय को तत्काल वेंटिलेटर की आवश्यकता थी लेकिन वहां के डॉक्टर टाल मटोल करते रहे। 

परि‍जन और दोस्‍तों के अनुसार खुद शोध छात्र अभय ने भी डॉक्टरों से हाथ जोड़ कर विनती की कि मेरी जान बचा लीजिए लेकिन डॉक्टरों ने एक न सुनी। आरोप है कि‍ कोविड वार्ड कमरा नम्बर 103 के  में ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों ने उनके साथ बदसलूकी भी की और कहा कि किसी बड़े आदमी से फोन कराने पर ही वेंटिलेटर दिया जाएगा। बाद में हमने डीन ऑफ स्टूडेंट्स को फोन कर मदद मांगी तो उन्होंने मदद का आश्वासन दिया और फिर बाद में उन्होंने हॉस्पिटल के एम.एस. डॉ एस.के. माथुर से बात करने की बात कही। डॉ एस के माथुर से बात करने पर उन्होंने मदद करने में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई और बाद में कई बार फ़ोन करने पर फोन ही रिसीव नहीं किया। 

परि‍जन और दोस्‍तों के अनुसार उसके बाद हमने कई बार कुलपति को भी फोन मि‍लाया लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। करीब 4 घण्टे तक अभय जिंदगी और मौत से संघर्ष करता रहा लेकिन अंततः उचित उपचार न मिलने के कारण उसकी मौत हो गयी। मृत छात्र अभय जायसवाल के माता-पिता पहले ही चल बसे हैं। परिवार में एक छोटी बहन ही थी जिसकी देख-रेख अभय कर रहा था। 

अभय बीएचयू से बीएससी, आई.आई.टी. दिल्ली से एम.एस.सी. व भौतिकी विभाग बीएचयू में प्रो. ओएन श्रीवास्तव के निर्देशन में सीनियर रिसर्च फेलो थे। अभी कुछ वर्ष पहले ही अभय पेरिस से प्रोजेक्ट कर लौटे थे। वाराणसी जिले के मंगलपुर गांव के निवासी अभय इस वक्‍त बीएचयू के समीप छि‍त्तूपुर में किराए का कमरा लेकर रहा करते थे। 

अभय की छोटी बहन का कहना है कि उसके भाई की हत्या हुई है और इस हत्या के जिम्मेदार हॉस्पिटल के एम एस व उनके डॉक्टर हैं। साथी छात्रों का कहना है कि जिस अस्पताल को एम्स के दर्जा प्राप्त हो और 5000 करोड़ सालाना पैकेज मिलता हो उसमे ऐसी लापरवाही हजम नही होती वो भी इसी विश्वविद्यालय में रह रहे छात्र के साथ। इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषि‍यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाय तथा मृत अभय की बहन को मुआवजा दिया जाए।

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