भारतीय कानूनों में बदलाव इंडिया से भारत की ओर जाने का प्रभावी कदम : एसके धर
देहरादून, 10 अगस्त (हि.स.)। एक जुलाई से देशभर में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून भारत को अंग्रेजी मानसिकता से बाहर निकालेंगे। भारतीय कानूनों में यह बदलाव इंडिया से भारत की ओर जाने का प्रभावी कदम है। यह बातें मुख्य वक्ता के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसके धर ने कही।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग की ओर से त्यागी रोड स्थित एक सभागार में शनिवार को उच्च न्यायालय उत्तराखंड के पूर्व रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरोला की अध्यक्षता में अधिवक्ता संगोष्ठी हुई। पूर्व रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरोला ने कानूनी प्रणाली में आए बदलाव को जरूरी कदम बताया। साथ ही एक जुलाई से देशभर में लागू हुए नए आपराधिक कानून व भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों में हुए बदलावों की जानकारी दी।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता एसके धर ने कानूनी अड़चनों एवं व्यवहारिकता को लेकर नए-पुराने कानूनी के प्रावधान पर चर्चा की और अंग्रेजी मानसिकता से बाहर निकलने के लिए इसे एक जरूरी कदम बताया। वक्ता उत्तरांचल यूनिवर्सिटी लॉ कालेज देहरादून की प्रोफेसर डॉ. पूनम रावत ने इलेक्ट्रानिक साक्ष्य एवं उससे जुड़े बिंदुओं को बताया, जो व्यवहारिकता को लेकर प्रासंगिक है। मंच का संचालन अधिवक्ता लक्ष्मी गुसाईं ने किया।
गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश गुप्ता, विभाग प्रचारक धनंजय, राजीव गुप्ता, बलदेव पाराशर, नीरज पांडेय, वीके शर्मा, योगेंद्र तोमर, राजवीर बिष्ट, अनिल कुमार शर्मा, अरुण उनियाल, निश्चल शर्मा आदि उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / वीरेन्द्र सिंह
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