गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन दिवसीय ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला का समापन
हरिद्वार, 27 सितंबर (हि.स.)। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन दिवसीय ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला का आज समापन हो गया। समापन के साथ ही पश्चिमोत्तर के राज्यों व नेपाल से आये सैकड़ों पीतवस्त्रधारी परिजनों ने ज्योति कलश यात्रा निकाली।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए पं. शिवप्रसाद मिश्र ने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापक व युग निर्माण योजना के सूत्रधार युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के दिव्य संकल्पों का प्रतीक है अखण्ड दीपक। इसी अखण्ड दीपक व माता भगवती देवी शर्मा जन्मशताब्दी वर्ष 2026 है। जन्मशताब्दी वर्ष को पूरे देश में उमंग व उत्साह के साथ मनाया जाना है। इस हेतु निकलने वाली ज्योति कलश यात्रा को देश के प्रत्येक गांव, कस्बा व शहर के गली-गली में लेकर जाना है।
उन्हाेंने कहा कि सूर्य की किरण निकलते ही अंधकार मिट जाता है, उसी प्रकार सद्विचार के प्रकाश से कुविचारों का नष्ट होना स्वाभाविक है।
इससे पूर्व प्रतिभागियों ने गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी से भेंटकर आशीर्वाद व मार्गदर्शन पाया। प्रमुखद्वय ने कहा कि विचार सशक्त व प्रबल होंगे, तो नकारात्मक और कुविचारों को आसानी से मिटाया जा सकता है। डॉ. चिन्मय पण्ड्या प्रवास में होने के कारण प्रतिभागियों से वचुअर्ल जुड़े और ज्योति कलश यात्रा पर विशेष मार्गदर्शन दिया।
शिविर समन्वयक वीरेन्द्र तिवारी ने बताया कि माता भगवती देवी शर्मा व प्रकाशपुंज के स्रोत सिद्ध अखण्ड दीप की जन्मशताब्दी वर्ष के अंतर्गत पूरे देश में श्रृंखलाबद्ध रूप से ज्योति कलश यात्रा निकाली जा रही है। इसी क्रम में पश्चिमोत्तर राज्यों एवं नेपाल के लिए डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी ने दिव्य ज्योति कलश का विशेष पूजन किया और परिजनों को सौंपा।
इस कलश को लेकर शांतिकुंज, हरिपुर कलॉ व देवसंस्कृति विवि क्षेत्र में ज्योति कलश यात्रा निकाली गयी और यही यात्रा उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चण्डीगढ़ व नेपाल पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में पश्चिमोत्तर राज्यों एवं नेपाल के भौगोलिक क्षेत्र, सांस्कृतिक परिवेश आदि विषयों पर विचार विमर्श किया गया।
प्रतिभागियों को व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी, शेफाली पण्ड्या, डॉ. ओपी शर्मा, प्रो. विश्वप्रकाश त्रिपाठी, श्याम बिहारी दुबे सहित कई विषय विशेषज्ञों ने रूपरेखा समझायीं। इस अवसर पर उत्तराखण्ड, पंजाब, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, चण्डीगढ़ और नेपाल से आये अनेकानेक परिजन उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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