सोशल मीडिया पर छवि धूमिल करने व जान से मारने की धमकी देने के मामले का महिला आयोग ने लिया संज्ञान
- महिला आयोग की अध्यक्ष ने मामले में कार्रवाई के लिए एसएसपी व मुख्य सचिव को लिखा पत्र
- आपराधिक प्रकरणों में निजी जानकारी सार्वजनिक करने वालों के विरुद्ध हो वैधानिक कार्रवाई
देहरादून, 22 जुलाई (हि.स.)। राज्य महिला आयोग कार्यालय पर सोमवार को एक प्राइवेट कोचिंग संस्थान में महिला कर्मचारियों से मारपीट व लज्जा भंग की घटना में पीड़ित महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई। आयोग ने पीड़िताओं से वार्ता कर मामले की जानकारी ली। पीड़िताओं ने बताया कि 23 मार्च, 2023 को बॉबी पवांर, आशीष नेगी, संदीप टम्टा व उनके अन्य सहयोगियों ने उनके संस्थान कार्यालय में आकर उनके साथ मारपीट, छेड़छाड़ तथा लज्जा भंग करने का प्रयास किया। इस संबंध में रायपुर थाना पर मामला दर्ज कराया गया था।
घटना के उपरांत उक्त मामले में बॉबी पवांर व उसके साथियों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर पोस्ट डालकर पीड़िताओं तथा उनके सहयोगियों के विरूद्ध लगातार कमेंट किए थे। डरा-धमकाकर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया। इस कारण सभी पीड़िताएं भय के साये में थीं। किसी तरह पीड़िताओं ने उक्त मामले में न्यायालय के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए। इसमें पुलिस ने विवेचना पूर्ण करते हुए मुकदमे में बाॅबी पवांर, आशीष नेगी तथा संदीप टम्टा के विरूद्ध चार्जशीट कोर्ट भेजी है परंतु उसके उपरांत भी आरोपित व उनके सहयोगी सोशल मीडिया पर पीड़िताओं की पहचान एवं निजी जानकारी सहित आपत्तिजनक पोस्ट तथा भद्दे कमेंटों के माध्यम से मानसिक रूप से प्रताड़ित कर धमका रहे हैं।
मामले में आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने पीड़ित महिलाओं के लिखित व मौखिक बयानों का संज्ञान लेते हुए एसएसपी देहरादून अजय सिंह से फोन पर वार्ता की और प्रकरण का तत्काल संज्ञान लेकर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने को कहा।
आयोग अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को भी पत्र भेजकर कहा कि आज सोशल मीडिया, न्यूज चैनल या समाचार पत्र हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। कोई भी व्यक्ति इनके माध्यम से अपनी बात समाज तक पहुंचाने के लिए स्वतंत्र है किंतु महिला या बच्चों के विरूद्ध हो रहे आपराधिक प्रकरणों में पीड़िता के निजी जीवन की जानकारी का उल्लेख (नाम, पहचान या संबंधित अन्य जानकारी सहित) सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित करना प्रतिबंधित है और अपराध की श्रेणी में आता है। यह पीड़ित महिला व बच्चे की निजता का हनन है। इससे समाज में उसे मानसिक प्रताड़ना झेलने के साथ भविष्य में असुरक्षा का सामना भी करना पड़ सकता है। इससे उसकी सामाजिक छवि भी धूमिल होती है। महिला एवं बच्चों से संबंधित आपराधिक प्रकरणों में सोशल मीडिया पर उक्त प्रतिबंधित कार्य किए जाने के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही अमल में लाना अत्यंत आवश्यक है।
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि उक्त प्रकरणों में किसी भी व्यक्ति द्वारा पीड़ित महिला व बच्चे से संबंधित अपराधों की जानकारी एवं उनकी पहचान को गोपनीय रखा जाए तथा पब्लिक डोमेन में प्रसारित न किया जाए। इसके लिए मुख्य सचिव को अपने स्तर से समस्त जनपदवार जिलाधिकारियों एवं पुलिस प्रशासन को निर्देश जारी करने के लिए कहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / जितेन्द्र तिवारी
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