जब एक किसान ने तीन बार के सांसद को चटायी थी नैनीताल से धूल
-नैनीताल के 1977 के सांसद भारत भूषण की कहानी जनता की ताकत बताने वाली कहानी
नैनीताल, 31 मार्च (हि.स.)। ‘गणतंत्र’ की सबसे बड़ी धुरी ‘गण’ यानी जनता है। जनता जिस आम व्यक्ति को चाहे तो राजा और चाहे तो राजा को आम व्यक्ति बना सकती है। 42 साल पहले ऐसा ही एक मौका आया, जब कांग्रेस पार्टी के प्रभुत्व के और ‘इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा’ के दौर में नैनीताल जनपद के एक साधारण किसान का बेटा कांग्रेस पार्टी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जनता की ताकत का अहसास कराते हुए कांग्रेस के मजबूत दुर्ग में सेंध लगाते हुए संसद पहुंचा। उसने लोकसभा चुनाव में भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के पुत्र केसी पंत को धूल चटायी।
सन् 1977 के आम चुनाव की यह बात है। जनवरी 1977 में देश से आपातकाल हटाने के साथ ही आम चुनाव कराए जाने की घोषणा हुई और मार्च 1977 में देश में आम चुनाव कराए गए। इस चुनाव में नैनीताल-बहेड़ी संसदीय क्षेत्र से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी से 1962, 1967 और 1971 के तीन चुनावों में बड़ी जीत से लगातार तीन बार सांसद रहे केसी पंत यानी कृष्ण चंद्र पंत उम्मीदवार थे। इनके खिलाफ भारतीय लोकदल ने संयुक्त नैनीताल जनपद के अंतर्गत आने वाले, किच्छा के पास स्थित देवरिया के चुटकी गांव के रहने वाले आम किसान भारत भूषण को मैदान में उतारा। भारत भूषण जनता के लिये बिल्कुल नया चेहरा थे। उनका इससे पहले कोई उल्लेखनीय राजनीतिक इतिहास नहीं था। कोई उन्हें जानता तक नहीं था। लोग साधारण किसान भारत भूषण को टिकट दिए जाने से आश्चर्यचकित थे। इन स्थितियों के बावजूद जनता पार्टी से भी भारत भूषण को समर्थन मिला और भारत भूषण विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार घोषित हो गए।
अपने क्षेत्र के एकमात्र स्नातक थे भारत भूषण
इस दौरान लोगों को भारत भूषण के बारे में यह बात भी बहुत भायी कि वह अपने क्षेत्र के एकमात्र स्नातक थे। उन्होंने क्षेत्र में कई सहकारी समितियों की शुरुआत कराई थी। किच्छा चीनी मिल जो बंद थी उसे शुरू कराने में उनका अहम योगदान रहा था। इसके बावजूद वह स्थानीय राजनीति के लिहाज से बिल्कुल अनजान व्यक्ति थे। उन्हें टिकट मिलने से विपक्ष का हर स्थानीय नेता भी अचंभित था।
फिर भी उस दौर में इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाये गये आपातकाल के विरुद्ध जबर्दस्त माहौल भी बन गया था। जयप्रकाश नारायण का जादू भी कांग्रेस के खिलाफ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। ‘इंदिरा हटाओ देश बचाओ’ का नारा भी लोगों के दिलो-दिमाग पर ऐसा छाया हुआ था कि भारत भूषण का नाम भी लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा था। यह बात भी जनता के मन में घर कर गयी थी कि कांग्रेस सत्ता में दोबारा आयी तो फिर से देश में आपातकाल लग जाएगा।
लगभग 85 हजार वोटों से हराया था लगातार तीन बार के सांसद को
ऐसे में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार घोषित होने के बाद उनके जानने वालों और परिचितों ने अपने हाथों से दीवार पर पोस्टर लगाने शुरू किये थे। ऐसे में भारत भूषण के अपरिचित होने के बावजूद लोग उन्हें प्रचार के लिये आने पर भरपूर समर्थन दे रहे थे। आखिरकार नतीजे आए तो कांग्रेस के दिग्गज, तीन बार के सांसद केसी पंत भारत भूषण से 84,746 मतों से पराजित हो गए थे। भारत भूषण की जीत की खुशी में कई क्विंटल लड्डू बांटे गए थे।
इसी चुनाव में पहली बार जीते थे भाजपा की स्थापना करने वाले मुरली मनोहर जोशी
आपातकाल विरोध लहर ने तत्कालीन संयुक्त उत्तर प्रदेश के वर्तमान उत्तराखंड के हिस्से की चारों सीटें कांग्रेस से छीन ली थीं। तब पौड़ी से जगन्नाथ शर्मा, गढ़वाल से त्रेपन सिंह नेगी, अल्मोड़ा से मुरली मनोहर जोशी और नैनीताल से भारत भूषण ने संसद भवन की राह पकड़ी थी। मुरली मनोहर जोशी इस चुनाव में जीतकर पहली बार संसद पहुंचे थे और बाद में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के साथ तीन प्रमुख नेताओं में शामिल रहें, जबकि भारत भूषण को आगे राजनीति उतनी रास नहीं आयी और वह चुनावी राजनीति से दूर रहे। फिर भी जब भी नैनीताल लोक सभा की बात होती है, हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/सत्यवान/वीरेन्द्र/वीरेन्द्र
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