वैदिक अध्ययन भारतीय सभ्यता, संस्कृति और दार्शनिक दृष्टिकोण को समझने की कुंजी

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वैदिक अध्ययन भारतीय सभ्यता, संस्कृति और दार्शनिक दृष्टिकोण को समझने की कुंजी


नैनीताल, 16 अप्रैल (हि.स.)। कुमाऊं विवि में संस्कृत विभाग के तत्वावधान में भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत वैदिक अध्ययन विषय पर आधारित दो दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम का शुभारंभ बुधवार को प्रारंभ हुई। कार्यक्रम के पहले दिन वैदिक साहित्य, सामाजिक और वैज्ञानिक पक्षों पर विद्वान वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, शोधार्थियों व विद्यार्थियों की उत्साहपूर्ण सहभागिता रही।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्यक्रम में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि यह विषय भारतीय सभ्यता, संस्कृति और दार्शनिक दृष्टिकोण को समझने की कुंजी है। वैदिक साहित्य भारतीय ज्ञान परंपरा का मूल आधार है, जिसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद प्रमुख हैं। वेदांग (शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिष) और उपवेद (आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद, अर्थशास्त्र) वेदों के व्यावहारिक व भाषिक अनुप्रयोगों को विस्तृत करते हैं। अन्य वक्ता डॉ. राज मंगल यादव ने वैदिक कालीन समाज, परिवार, गुरुकुल परंपरा और यज्ञों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि वर्तमान समाज को सांस्कृतिक एवं नैतिक उत्थान की ओर अग्रसर होना है तो उसे वेदों में निहित जीवन मूल्य अपनाने होंगे। वैदिक सूत्र जैसे ‘संगच्छध्वं संवदध्वं’ और ‘अनुव्रत: पिता पुत्रो...’ आज के समाज के लिए अत्यंत उपादेय हैं। डॉ. ओमकार ने ‘वैदिक वाङ्मय में विज्ञान’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि समग्र वैदिक ग्रंथों में आज के आधुनिक विज्ञान के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। उन्होंने सौर ऊर्जा, जलविद्युत उत्पादन, द्रव्य-ऊर्जा परिवर्तन और रसायन विज्ञान जैसे विषयों को वेदों से जोड़ा। संचालन डॉ. प्रदीप कुमार ने किया, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुषमा जोशी ने दिया। इस अवसर पर संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो. जया तिवारी, प्रो. शालिम तबस्सुम, प्रो. शहराज अली, डॉ. लज्जा भट्ट, शोधार्थी भावना कांडपाल, किरन आर्या, सौरभ, शोभा आर्या, यशपाल, यशपाल आर्या, भारती सुयाल, अमर जोशी, जगदीश आदि का सक्रिय सहयोग रहा।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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