उत्तराखंड की 23वीं वर्षगांठ पर आयोजित गोष्ठी
-अभी तक की सरकारों ने राज्य की कि उपेक्षा, नहीं लगे उद्योग कारखाने, बेरोजगार पलायन करने को है मजबूर
ऋषिकेश, 08 नवंबर (हि.स.)। ऋषिकेश के प्रबुद्ध नागरिकों उत्तराखंड की 23वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित उत्तराखंड की दशा और दिशा पर विचार गोष्ठी में उत्तराखंड राज्य की अभी तक की सरकारों द्वारा की गई उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की गई।
बुधवार को मार्ग पर स्थित एक बिल्डिंग पॉइंट में स्वामी केशव स्वरूप ब्रह्मचारी की अध्यक्षता और अधिवक्ता रमा बल्लभ भट्ट के संचालन में आयोजित विचार गोष्ठी मैं वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड निर्माण के 23 वर्षों के बाद भी उत्तराखंड का विकास नहीं विनाश हुआ है, अभी तक की सरकारों ने पूरे उत्तराखंड के बेरोजगारों को रोजगार देने की अपेक्षा जगह-जगह शराब की दुकानें खोलकर युवा पीढ़ी को शराब के नशे में रहने के लिए मजबूर किया है ।इतना ही नहीं जो धंधे थे, वह भी सब चौपट हो गए हैं एक भी बेरोजगारों के लिए कल कारखाना नहीं लगाया गया है।
वक्ताओं ने उत्तराखंड राज्य के दशा को बयां करते हुए कहा कि राज्य में चुने गए जनप्रतिनिधियों का राज्य के विकास के लिए जो योगदान होना चाहिए था वह नहीं हो पाया है ,उन्होंने कहा कि आज भी पूरे उत्तराखंड में पलायन पर रोक नहीं लगाई गई है। इसके कारण गांव खाली हो रहे हैं। सरकारों को ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य के लिए नीति बननी चाहिए थी, जो कि आज तक नहीं बनाई गई है। उत्तराखंड की कृषि गांव की आजीविका का प्रमुख स्रोत होने के बावजूद भी उसकी और किसी भी सरकार का ध्यान नहीं गया है। जहां किसानों की खेती को जंगली जानवर खाकर चौपट कर रहे हैं, जिसके लिए सरकार को ठोस नीति बनाकर किसानों को राहत दी जानी चाहिए ,इसी के साथ पूरे राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह खराब हो गई है।
इसके कारण यहां अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों के साथ आयोजित मारपीट की घटनाएं हो रही है। जिससे पर्यटक भी काफी भयभीत है वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अधिकारियों के इशारे पर चल रही है नेताओं की कोई भी अधिकारी सुनने के लिए तैयार नहीं है, जिससे जनता का जन प्रतिनिधियों से लोगों का विश्वास उठ रहा है। गढ़वाल क्षेत्र के जिला अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करवाया जाने के अतिरिक्त राज्य के मुख्य धर्मों पर आने वाले पर्यटकों को प्रसाद वितरण किए जाने के साथ अच्छी व्यवस्था दिए जाने पर भी विचार किया गया।
गोष्ठी में विनोद बिजलवान, संजय शास्त्री ,बंशीधर पोखरियाल, महिपाल सिंह बिष्ट, मनोज द्विवेदी, अधिवक्ता खुशहाल सिंह खुशहाल सिंह कलुडा,विमला रावत, उषा रावत, विशाल मणि पैन्यूली, शूरवीर सिंह चौहान ,सूर्य चंद चौहान विमल बहुगुणा,शशि डंगवाल ,ऊषा भंडारी, सुरेंद्र भंडारी, महिपाल बिष्ट, सुशील नौटियाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
हिन्दुस्थान समाचार/ विक्रम/रामानुज
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