गोमुख मार्ग पर आए हिमखण्ड, मार्ग खोलने में लगेगा तीन सप्ताह : पार्क प्रशासन
-गोमुख घूमने के शौकीनों को करना पड़ेगा एक माह का इंतजार
उत्तरकाशी, 10 अप्रैल (हि.स.)। गोमुख जाने के शौकीनों को अभी यहां आने के लिए करीब एक महीने का इंतजार करना पड़ सकता है। गंगोत्री से गोमुख जाने के मार्ग पर भारी हिमखण्ड आने से मार्ग अवरुद्ध है, जिससे गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान की बेदाग प्राकृतिक सुंदरता का आनंद इस बार लोग अप्रैल माह में नहीं ले सकेंगे।
गंगोत्री नेशनल पार्क अनुभाग की टीम ने गंगोत्री गोमुख मार्ग पर गश्त कर स्थलीय निरीक्षण किया है। टीम द्वारा अवगत करवाया गया कि उक्त मार्ग पर 6-7 स्थानों पर बड़े-बड़े हिमखण्ड आए हुए हैं। इस कारण मार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त है।
इधर गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक रंगनाथ पांडे ने बताया कि मार्ग जगह-जगह से बाधित है। दोपहर बाद मौसम खराब होने के कारण मजदूरों को काम करने में परेशानी आ रही है। इस कारण मार्ग पर कार्य नही किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि मौसम साथ देता है तो क़रीब तीन सप्ताह में गोमुख मार्ग सही हो सकता है।
वर्तमान में गंगोत्री व गोमुख क्षेत्र का मौसम सुबह को बिल्कुल साफ रहता है। लेकिन दोपहर को लगभग 1:30 बजे के बाद मौसम खराब होने लगता है। हर रोज सायं के समय बर्फबारी होने लगती है, जिससे वहां का तापमान भी माइनस में चला जाता है। सुबह मौसम साफ रहने के कारण ग्लेशियर से पत्थर भी गिरने लगते हैं। माइनस तापमान व पत्थर गिरने के कारण उक्त मार्ग पर मजदूरों के लिए कार्य करना जोखिम भरा हो सकता है। मौसम विभाग द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अभी भी एक से दो सप्ताह तक मौसम की यही स्थिति रहने वाली है। रेंजर प्रदीप बिष्ट ने मौके का मुआयना किया। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह मैं मौसम साफ रहने की उम्मीद है उसके बाद ही मजदूर लगाए जा सकते हैं।
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान प्राकृतिक सुंदरता के साथ मनोरम परिदृश्य-
गंगोत्री नेशनल पार्क पृथ्वी पर स्वर्ग की एक झलक देता है। सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग ट्रैकों में से एक, गौमुख-तपोवन ट्रेक का घर, जो आपको प्रकृति के साथ फिर से जोड़ेगा और अपने क़ीमती परिदृश्य से आपको आश्चर्यचकित करता है। अपने हिमाच्छादित उद्गम से अपना मार्ग प्रशस्त करती गंगा नदी का मोती जैसा बहता पानी एक शानदार छवि बनाता है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगा। 1989 में स्थापित, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान 7,083 मीटर की ऊंचाई तक। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान 1,553 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी अद्वितीय भौगोलिक स्थिति इसे वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध बनाती है। भरड़ या नीली भेड़, काला भालू, भूरा भालू, हिमालयी मोनाल, हिमालयी स्नोकॉक, हिमालयी थार, कस्तूरी मृग और हिम तेंदुआ जैसी कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर। राष्ट्रीय उद्यान के जीवंत वन्य जीवन के बीच एक दिन आपको दैनिक जीवन की हलचल से दूर शांति और सुकून की स्थिति में ले जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल /रामानुज
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