उत्तराखंड के स्थानीय भाषा के विकास के लिए सरकार बनाएं ठोस नीति
देहरादून, 27 नवम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड के स्थानीय भाषा को एक मानकर व्यापक प्रसार की और जरूरत है। राज्य की भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। सरकार से शीघ्र भाषा के विकास के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की।
सोमवार को प्रेस क्लब में उत्तराखंडी भाषा न्यास (उभान) के तत्वावधान में ''उत्तराखंड एक उत्तराखंडी भाषा एक'' को लेकर पत्रकार वार्ता में यह बातें कही। इस दौरान कहा कि सरकार को उत्तराखंड की भाषा न्यास करके समूचे उत्तराखंड की भाषा का गठन करना होगा। हम गढ़वाली कुमाऊंनी की अलग अलग बात न करें। हमें उत्तराखंड के लिए एक भाषा की बात करनी चाहिए। संविधान की प्रतीक्षा सूची में गढ़वाली 12वीं और कुमाऊंनी 22 वें नंबर पर है। यदि दोनों लोक भाषाएं उत्तराखंडी के रूप में एक होती है तो हमारा प्रतिशत बढ़कर 80 से ऊपर होगा। जिससे हमारी भाषाओं को संविधान में स्थान मिलने में आसानी हो जायेगी।
डॉ. बिहारी लाल जलन्धरी ने कहा कि आज हमारा नौजवान लगातार रोजगार के लिए पलायन कर रहा है। सरकार को हमारे क्षेत्रों की बोली भाषा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिए। हमारे लेखकों,साहित्यकारों ,कवियों,की स्थानीय बोली भाषाओं में रचनाएं हैं।जिनको संग्रहित कर स्कूली शिक्षा में विषय गठित कर छात्र-छात्राओं को पढाया जाना चाहिए।
डॉ. बिहारीलाल जलंधरी ने कहा कि आज हम गढ़वाली कुमाऊंनी के नाम पर बंटे हुए हैं। हमारी पहचान उत्तराखंड है और यदि उत्तराखंडी के लिए या उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए काम करें, जैसे हिंदी और अंग्रेजी अस्तित्व में आई , कई लोक भाषाओं के शब्द इसके साथ जुड़े उसके बाद आज यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही है। इस प्रकार हम गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी या अन्य उत्तराखंड की जिन भाषाओं का साहित्य उपलब्ध है। हमें उत्तराखंड में भाषा के आधार पर रोजगार का साधन विकसित करना होगा।
नीलांबर पांडेय ने कहा कि उत्तराखंड के स्कूलों में जैसे हिंदी में बृज, अवधी, मगधी, सधुक्कड़ी, मैथिली, आदि भाषाओं के कालजयी साहित्यकारों को पढ़ रहे हैं उसी तरह उतराखंडी भाषा में कुमाऊनी और गढ़वाली के कालजयी साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ेंगे।
सुल्तान सिंह तोमर ने कहा कि राज्य बनने के साथ ही इस विषय पर सरकार को काम करना चाहिए था। इन 23 वर्षों में जो काम सरकार नहीं कर पाई उत्तराखंडी भाषा न्यास ने उस पर काम करने की ठानी है।हम यह प्रस्ताव लगातार सरकार को देते रहेंगे।
इस मौके पर न्यास के अध्यक्ष नीलांबर पांडेय, सचिव डॉ बिहारीलाल जलंधरी, कोषाध्यक्ष सुल्तान सिंह तोमर, प्रभारी उत्तराखंड डॉ. एम.आर. सकलानी, प्रभारी दिल्ली पृथ्वी सिंह केदारखंडी, प्रभारी पंजाब उत्तम सिंह बागड़ी, संयोजक गढ़वाल मंडल डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल, सुरेश मनमौजी, लोकेंद्र प्रसाद नौटियाल, उत्तरापंत बहुगुणा, जगदीश प्रसाद अंथवाल, नरेंद्र शर्मा अमन, ओंकार सिंह नेगी आदि कई व्यक्तियों ने भाग लिया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश
/रामानुज
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