रेल बजट में उत्तराखंड को मिले 5131 करोड़ रुपये, सुदृढ़ होगा रेल नेटवर्क

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रेल बजट में उत्तराखंड को मिले 5131 करोड़ रुपये, सुदृढ़ होगा रेल नेटवर्क


- उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में 171 किमी सुरंग का कार्य पूरा

- शिव और शक्ति टीबीएम महत्वाकांक्षी रेल परियोजना को वर्ष 2026 करेंगी पूरा

देहरादून, 24 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय रेल मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) देहरादून में आयोजित एक वर्चअल प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि 2024-25 के रेल बजट में विभिन्न परियोजनाओं के लिए उत्तराखंड को 5131 करोड़ रुपये मिला है। इस बजट से उत्तराखंड में रेल नेटवर्क सुदृढ़ किया जाएगा।

केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि इस बार बजट में रेलवे को रिकॉर्ड दो लाख 62 हजार रुपये का आवंटन किया गया है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार जताया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि रिकार्ड बजट आवंटन का लाभ उत्तराखंड को भी मिलेगा। उत्तराखंड को 2024-25 के बजट में विभिन्न रेल परियोजनाओं के लिए बजट में 5131 करोड़ का आवंटन हुआ है।

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने चारधाम के लिए केंद्र सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के संबंध में बताया कि इस परियोजना में 213 किलोमीटर की सुरंगें हैं। इसमें से अभी 171 किलोमीटर का कार्य पूरा हो चुका है। शेष कार्य तेज गति से चल रहा है। रेल मंत्री ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में सुरंगें बनाने के लिए जिन दो टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनका नाम ‘शिव’ और ‘शक्ति’ रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का कार्य 2026 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। ये अपने आप में एक कीर्तिमान होगा कि इतनी बड़ी और जटिल परियोजना को हिमालय के युवा वलित पहाड़ों पर काफी कम समय में पूरा किया जाएगा, जहां कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

हिमालय के पहाड़ों में सुरंग बनाने के लिए इजाद किया हिमालयन टनलिंग मेथ्ड

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हिमालय के पहाड़ अभी युवा हैं। इसलिए इसमें अधिकतम मिट्टी पाई जाती है, जो सुरंग बनाने में मुश्किल पैदा करती है। ऐसे में हिमालय के पहाड़ों में सुरंग बनाने के लिए हिमालयन टनलिंग मेथ्ड यानी एचटीएम को इजाद किया गया है। इससे हिमालय के युवा वलित पहाड़ों के भीतर सुरंग बनाई जा सकती है। एचटीएम के माध्यम से संतुलित टनल बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में बागेश्वर-टनकपुर, बागेश्वर-गैरसैंण, ऋषिकेश-उत्तरकाशी और सहारनपुर रेलवे लाइनों की डीपीआर बनाने का कार्य जैसे-जैसे पूरा होता रहेगा, इसकी जानकारी साझा की जाएगी।

हिमालयी राज्य उत्तराखंड में एडवांस तकनीक से बन रहीं सुरंगें

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के सुरक्षा के सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हिमालयी राज्य में रेलवे की जो सुरंगें बन रही हैं, वो बेहद एडवांस तकनीकी के साथ बन रही हैं। उन्हाेंने बताया कि ऐसे क्षेत्र में जहां ठोस पत्थर नहीं हैं, वहां हिमालयन टनलिंग मैथ्ड से टनल बनाई जा रही हैं, जिसमें टनल बोरिंग के साथ उसे कंकरीटयुक्त कर मजबूती प्रदान की जाती है। इससे वह सुरक्षित हो जाती है। इसके अलावा टनल बनाते समय सुरक्षा की दृष्टि से हर काम बहुत सावधानी से करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

उत्तराखंड की सभी रेललाइन हुई बिजलीयुक्त, दस वर्ष में 69 किमी नए रेल ट्रैक बिछे

उत्तराखंड में वर्ष 2014 से 2024 तक 69 किमी नए रेल ट्रैक बिछे हैं। इसी अवधि में 303 किमी की रेल लाइनों को इलेक्ट्रिफाइड किया गया है। 2009-14 के बीच ये आंकड़ा शून्य था। आज प्रदेश की हर रेलवे लाइन बिजलीयुक्त है। इसके अलावा राज्य में 70 रेल ब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण हो चुका है। फिलहाल राज्य में 216 किमी की तीन रेल परियोजनाओं (रेलवे ट्रैक) का काम चल रहा है। इसकी लागत 25,941 करोड़ रुपये है। साथ ही देहरादून, हरिद्वार जंक्शन, हर्रावाला, काशीपुर जंक्शन, काठगोदाम, किच्छा, कोटद्वार, लालकुआं जंक्शन, रामनगर, रुड़की और टनकपुर सहित 11 स्टेशनों को अमृत स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / सुनील कुमार सक्सैना

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