राज्यपाल बोले, विश्वविद्यालयों के शोध और अनुसंधान का लाभ लोगों को मिले, तभी होगी सार्थकता

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राज्यपाल बोले, विश्वविद्यालयों के शोध और अनुसंधान का लाभ लोगों को मिले, तभी होगी सार्थकता


राज्यपाल बोले, विश्वविद्यालयों के शोध और अनुसंधान का लाभ लोगों को मिले, तभी होगी सार्थकता


-सभी विश्वविद्यालय 2025 तक शोध कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें

-विश्वविद्यालयों की प्रत्येक क्रियाकलापों में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाए

देहरादून, 21 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों के शोध और अनुसंधान का लाभ लोगों को मिले तभी इसकी सार्थकता होगी। राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों से जनवरी 2025 तक शोध कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

गुरुवार को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक ली। इसमें सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और शासन के उच्चाधिकारी मौजूद रहे। बैठक में ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ पर सभी कुलपतियों की ओर से किए जा रहे शोध विषयों पर अपने-अपने प्रस्तुतीकरण दिये।

राज्यपाल ने कहा कि सभी कुलपतियों को कार्य करने स्वायत्तता प्रदान की गई है। कुलपति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए विश्वविद्यालयों में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों की प्रत्येक क्रियाकलापों में टेक्नोलॉजी का अधिकाधिक उपयोग करने के निर्देश दिये।

राज्यपाल ने कुलपतियों की ओर से विश्वविद्यालय में किए जा रहे नवाचारों और उपलब्धियों पर संतोष जताया। उन्होंने कुलपतियों को विश्वविद्यालयों की प्रत्येक चुनौती के समाधान के लिए आश्वस्त किया। बैठक में विश्वविद्यालयों की ओर से संस्थानों की संबद्धता, विश्वविद्यालयों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, सहित अन्य बिन्दुओं पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

पूर्व में राज्यपाल की ओर से सभी विश्वविद्यालय को राज्य हित में योगदान के लिए एक वर्ष तक अपने गहन शोध के माध्यम से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे, जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। विश्वविद्यालयों की ओर से अपनी विशेषज्ञता के अनुसार अपने शोध के विषय चयन किया गया है। इस संबंध में सभी कुलपतियों की ओर से वर्तमान तक की प्रगति का संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण दिया गया।

शोध के लिए विषयों में दून विश्वविद्यालय की ओर से उत्तराखंड में महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार,श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय द्वारा प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में जोड़ना, संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से संस्कृति और भारतीय ज्ञान प्रणाली की पुर्नस्थापनाः उत्तराखंड के विशेष संदर्भ में,जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखंड में मधु (शहद) क्रांति की शुरूआत, एसएसजे विश्वविद्यालय द्वारा जीआईएस में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा एआई और टेक्नोलॉजी के उपयोग से राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को मजबूत करना, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय द्वारा भगंदर बीमारी के लिए क्षारसूत्र का प्रबंधन, चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय द्वारा जिला चिकित्सालयों में ट्रॉमा केयर प्रबंधन, मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से दिव्यांग और वंचितों को शिक्षा जागरूकता,औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय द्वारा सेब, अखरोट और शहद के अधिक उत्पादन हेतु उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए शोध का उपयोग एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा पारंपरिक खाद्य वनस्पतियों से बायोएक्टिव औषधीय हर्बल चाय से संबंधित शोध हेतु प्रगति और आगामी कार्ययोजना के बारे में बताया।

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, सचिव चंद्रेश कुमार यादव, सचिव विनोद कुमार, सचिव डॉ आर. राजेश कुमार, कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय डॉ.ओ.पी.एस नेगी, कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. एन के. जोशी, कुलपति जी.बी.पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय डॉ. मनमोहन चौहान, कुलपति तकनीकी विश्वविद्यालय प्रो. ओंकार सिंह, कुलपति आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलपति चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. मदन लाल ब्रह्मभट्ट, कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रो. दीवान सिंह रावत, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय डॉ. परविंदर कौशल और कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/रामानुज

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