विजय दिवस आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है: राज्यपाल
देहरादून, 16 दिसंबर (हि.स.)। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने मंगलवार को कहा कि विजय दिवस केवल अतीत की विजय को स्मरण करने का दिन नहीं, बल्कि यह आत्ममंथन और संकल्प का अवसर भी है। भविष्य की चुनौतियों और आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा आवश्यकताओं के प्रति स्वयं को निरंतर सुदृढ़ और सजग बनाए रखना होगा।
राज्यपाल सोमवार को विजय दिवस के अवसर पर यहां शौर्य स्थल पर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के बाद संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल ने सेवारत एवं पूर्व सैनिकों से भेंट कर उनसे संवाद किया और राष्ट्र की रक्षा में उनके अमूल्य योगदान की सराहना की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की ऐतिहासिक, रणनीतिक एवं निर्णायक सैन्य विजय को स्मरण करते हुए कहा कि यह युद्ध भारत के सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अध्याय है। भारतीय सशस्त्र बलों ने अद्वितीय शौर्य, साहस और कुशल रणनीति का परिचय देते हुए न केवल दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए विवश किया था, बल्कि पाकिस्तान के विभाजन के साथ एक नए राष्ट्र, बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त किया था।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों की उत्कृष्ट रणनीति, कठोर प्रशिक्षण, सटीक योजना, अनुशासन, समर्पण और राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता हम सभी के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि 54 वर्ष पूर्व इस युद्ध के बलिदानी एवं घायल जवानों के परिवारों की देखभाल करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। विजय दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव उनके परिवारों के सम्मान, सुरक्षा और कल्याण के लिए तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज भारत आधुनिकीकरण, तकनीकी नवाचार, भविष्य के युद्ध कौशल और सैन्य क्षमताओं के क्षेत्र में एक व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। यह परिवर्तन हमारे सशस्त्र बलों की शक्ति और राष्ट्र की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करेगा।
इस अवसर पर जीओसी सब एरिया, उत्तराखण्ड मेजर जनरल एमपीएस गिल, संयुक्त मुख्य हाइड्रोग्राफर, रियर एडमिरल पीयूष पौसी सहित सेवारत और भूतपूर्व सैन्य अधिकारी और जेसीओ व जवान मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

