द डॉटर ऑफ द हिमालयाज़ सिनेमाई यात्रा का हुआ प्रदर्शन
देहरादून, 02 नवंबर (हि.स.)। गंगा-डॉटर ऑफ हिमालयाज़ फिल्म को गुरुवार को मीडिया के लिए विशेष तौर पर प्रदर्शित किया गया। स्क्रीनिंग के दौरान भारत का आध्यात्मिक हृदय जैसे जीवंत हो उठा। इस फिल्म में एक पर्वतारोही की आध्यात्मिक यात्रा : दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को जीतने के लिए हिमालयी तपस्या को सामने लाया गया है।
दून पुस्तकालय के सभागार में मीडिया के लिए आयोजित विशेष स्क्रीनिंग कार्यक्रम में फिल्म निर्देशक भारतबाला और देवयानी सेमवाल मौजूद थे। स्क्रीनिंग के दौरान फिल्म के गहन कथानक की झलक मिली। भारतबाला को दृश्यों को जीवंत बनाने के लिए जाना जाता है। फिल्म के महत्व को जानकारी दी गई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्मकार भारतबाला की यह एक मनमोहक प्रस्तुति है, जो एक उभरती हुई पर्वतारोही देवयानी सेमवाल की असाधारण यात्रा को उजागर करती है। यह फिल्म एक ऐसे सिनेमाई अनुभव का वादा पूरा करती है, जो कहानी कहने की सीमाओं को भी लांघ जाता है। फिल्म की प्रीमियर स्क्रीनिंग 3 नवंबर को https://youtube.com/@virtualbharat पर होने जा रही है।
इस फिल्म की प्रस्तुति के साथ वर्चुअल भारत ने रूरल इंडिया सपोर्टिंग ट्रस्ट (आरआईएसटी) के साथ मिलकर उत्तराखंड पर आधारित सात फिल्मों की एक मनोरम श्रृंखला का अनावरण किया। यह यात्रा वूमन ऑफ मुनस्यारी के साथ आगे बढ़ती है, जिसका अनावरण 17 नवंबर 2023 को होगा। इसके बाद उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और समुदाय की जीवनी शक्ति (जिजीविषा) की समृद्ध टेपेस्ट्री (चित्र-यवनिका) पर आधारित पांच और फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। फिल्मों के इस संग्रह में असाधारण विविधता पूर्ण विषय, प्रयास और सांस्कृतिक परंपराओं को चुना गया है। यह फिल्म श्रृंखला वर्चुअल भारत परियोजना और आरआईएसटी के मैंडेट (चार्टर) के बड़े कैनवास में योगदान करती है।
गंगा-डॉटर ऑफ हिमालयाज़, वर्चुअल भारत की प्रदर्शन सूची की एक ऐसी फिल्म है, जो देवयानी की हिमालय के बर्फ से ढंके क्षेत्रों की महाकाव्यात्मक खोजी यात्रा को सारांशतः बयान करती है। यह फिल्म देवयानी और देवी गंगा नदी के बीच गहरे संबंधों की पड़ताल करती है।
विश्व की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने के लिए दृढ़ संकल्पित देवयानी,जो गंगोत्री की तलहटी में बसे एक शांत हिमालयी गांव मुखबा में पली-बढ़ी है,ऐसे पर्वत शिखरों की कल्पना करती है,जो उसकी विशाल महत्वाकांक्षाओं से मेल खाते हों।
लेखिका और शोधकर्ता सोइती बनर्जी ने कथ्य की पेचीदगियों को बड़ी बारीकी से बुना है। एडीटर शाश्वता दत्ता ने कहानी के निर्बाध प्रवाह को अपनी प्रतिभा और अनुभव से मांझा है। फिल्म में आत्मा को झकझोर देने वाला संगीत पवित्रा चारी और सौम्या गुरुचरण का है। यह पूरे सिनेमाई अनुभव में एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव का एक और स्तर जोड़ता है।
वर्चुअल भारत के बारे में-
वर्चुअल भारत 1000 फिल्मों के निर्माण की यात्रा है. जो भारत की 5,000 साल पुरानी सभ्यता में कला, संस्कृति, वास्तु, संगीत, लोक कथाओं और परंपराओं की अनदेखी, अनकही कहानियों को सिनेमाई कैनवास पर उतारती है। इसका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा वृहद् डिजिटल संकलन उपलब्ध करवाने का है जो मानवीय पहलुओं पर आधारित होगा। युवाओं के मन मस्तिष्क को समसामयिक, अनुभवों पर आधारित कंटेंट के ज़रिए जोड़ता है, शिक्षित करता है और युवा मस्तिष्कों को मनोरंजन करता है। इस तरह वर्चुअल भारत देश की विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करता है, उसे ऊपर उठाता है और निर्माण करता है. इसके बारे में ज़्यादा जानकारी www.virtualbharat.com पर प्राप्त की जा सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश
/रामानुज
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