जोशीमठ भू धंसाव प्रभावितों को बमोथ (गौचर) बसाने की योजना, सुझाव लेने के बाद लिया जाएगा अन्तिम निर्णय

जोशीमठ भू धंसाव प्रभावितों को बमोथ (गौचर) बसाने की योजना, सुझाव लेने के बाद लिया जाएगा अन्तिम निर्णय
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जोशीमठ भू धंसाव प्रभावितों को बमोथ (गौचर) बसाने की योजना, सुझाव लेने के बाद लिया जाएगा अन्तिम निर्णय


जोशीमठ, 20 जनवरी (हि.स.)। जोशीमठ भू धंसाव आपदा के एक वर्ष बाद आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने शनिवार को आपदा प्रभावितों व जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनके सुझाव लिए।

आपदा सचिव सिन्हा ने स्पष्ट किया कि जोशीमठ भू धंसाव क्षेत्र के जो हाई रिस्क जोन चिन्हित हुए हैं, उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से खाली किया जाना आवश्यक होगा और इसके लिए सरकार ने बमोथ गांव गौचर में 26 हेक्टेयर भूमि भी चिन्हित की है। उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवारों से विकल्प मांगे जाएंगे, जिसमे प्रभावित भवन व भूमि मुआवजा लेकर उपलब्ध सुरक्षित स्थानों पर घर बनाने या सरकार द्वारा प्रस्तावित भूमि/भवन पर स्थाई तौर पर रह सकते हैं।

आपदा सचिव सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण लगातार जारी है और अलग-अलग चिन्हित स्थानों पर 80 मीटर तक भूमि की जांच की जा रही है। सर्वेक्षण से जो निष्कर्ष निकले हैं उनसे पता चल रहा है कि 80 मीटर गहराई तक पक्की रॉक नहीं मिल पा रही है। जोशीमठ के लगभग सभी वार्ड के पार्ट हाई रिस्क जोन में हैं, ऐसे में सरकार की प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है।

आपदा सचिव ने कहा कि इस बैठक में प्रभावितों व जनप्रतिनिधियों की ओर से जो भी सुझाव आए हैं उसी के अनुरूप डीपीआर तैयार होगी। उन्होंने कहा कि जोशीमठ को बचाने के लिए जो ट्रीटमेंट किए जाने हैं उनमें भार वहन क्षमता को कम करना तो है ही इसके अलावा नगर मे बहने वाले सभी नालों की ठीक से लाइनिंग होगी, ड्रेनेज सिस्टम व सीवर सिस्टम को बेहतर किया जाएगा तथा अलकनंदा के तट पर भूस्खलन वाले क्षेत्रों मे सुरक्षात्मक उपाय करना है।

आपदा प्रबंधन सचिव ने आश्चर्य जताया कि जनवरी 2023 के बाद से जब निर्माण कार्यों पर रोक है तो आखिर निर्माण कैसे हो रहे हैं? उन्होंने एडीएम चमोली को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

बैठक में जोशीमठ के मूल निवासियों/हकहकूक का मुद्दा भी उठा कि आखिर जो लोग अपनी पैतृक भूमि पर पीढ़ियों से रह रहे हैं और उनके पास कहीं अन्यत्र भूमि भी नहीं है तो वे कैसे अपने घर व जमीन को छोड़ सकते हैं?

इस बैठक में लोगों का मानना था कि जोशीमठ का ठीक से ट्रीटमेंट हो जाये, भार वहन क्षमता का कड़ाई से पालन हो, बहुमंजिले निर्माण पर प्रतिबंध हो तो जोशीमठ सुरक्षित रहेगा। लोगों का यह भी कहना था कि एनटीपीसी की परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाइपास निर्माण बन्द हो तो जोशीमठ भी सुरक्षित हो जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रकाश कपरूवाण /रामानुज

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