आईआईटी मुंबई के प्रो रामकृष्णन ने राज्यपाल से की ‘भारत‑जेन’ एआई पर चर्चा
देहरादून, 27 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के प्रोफेसर गणेश रामकृष्णन ने शनिवार को लोक भवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल से विकसित स्वदेशी एआई पहल ‘भारत‑जेन’ के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर दोनों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के सामाजिक, तकनीकी और सांस्कृतिक महत्व पर विचार साझा किए।
राज्यपाल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत के लिए एक क्रांतिकारी एवं परिवर्तनकारी तकनीक है, जो विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ‘भारत‑जेन एआई’ भारत को एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित होगी।
राज्यपाल ने कहा कि एआई को भारत की सांस्कृतिक धरोहर, ज्ञान परंपरा और जड़ों से जोड़ना आवश्यक है। हमारे वेद-पुराण, संस्कृत भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा में विद्यमान गहन तार्किक संरचना आधुनिक कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से स्वाभाविक रूप से जुड़ी प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि ‘भारत-जेन एआई’ के माध्यम से भारतीय ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ एक नया और सशक्त स्वरूप प्राप्त होगा। राज्यपाल ने गणेश रामकृष्णन की ओर से एआई के विभिन्न पहलुओं पर दिए गए सरल, स्पष्ट और विस्तृत प्रस्तुतीकरण की सराहना की।
प्रोफेसर रामकृष्णन ने कहा कि ‘भारत-जेन’ का मूल उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को तकनीक और एआई का केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि उसका निर्माता बनाना है। उन्होंने कहा कि जब तक हम केवल तकनीक का उपभोग करते रहेंगे, तब तक उसके संचालन, प्रभाव और संभावनाओं को पूरी तरह समझ नहीं पाएंगे। उन्होंने जोर दिया कि एआई के प्रति जिज्ञासा, परिवर्तन की चाह और सकारात्मक दृष्टिकोण का समन्वय ही नवाचार को गति देता है। इस दौरान दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल भी उपस्थित रहीं।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

