'शब्दावली' के आखिरी दिन साहित्यिक रचनाओं पर चर्चा

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'शब्दावली' के आखिरी दिन साहित्यिक रचनाओं पर चर्चा


देहरादून, 29 सितंबर (हि.स.)। हिंदी साहित्य सम्मेलन और राजभाषा पखवाड़े 'शब्दावली' के आखिरी दिन साहित्यिक रचनाओं पर चर्चा हुई। इस दौरान साहित्य प्रेमियों, लेखकों, कवियों और अनुवादकों ने युवाओं से हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी और वैली ऑफ वर्ड्स के संयुक्त सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय शब्दावली के आखिरी दिन लेखिका जोराम यालाम नाबाम की पुस्तक 'गाय गाइका की औरतें' पर चर्चा की गई। उन्होंने पुस्तक के शीर्षक की गहराई और उसकी भावनात्मकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए पुस्तक में निहित सांस्कृतिक महत्व को भी समझाया। इस सत्र में लेखिका भारती शर्मा और कवयित्री ममता किरण ने भी अपने विचार साझा किए।

शब्दावली के दूसरे सत्र में साहित्यकारों ने 'राहुल सांकृत्यायन का साहित्य में योगदान' पर चर्चा की। वरिष्ठ कवि लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, अंजुम शर्मा, और दिव्यांशु शर्मा ने राहुल सांकृत्यायन के जीवन, उनके यात्रा वृतांतों और उनके साहित्य से प्रेरणा लेने पर गहन चर्चा की।

सत्र में उपस्थित लोगों के लिए हिंदी साहित्य पर एक रोचक क्विज़ का भी आयोजन किया गया। जिसमें युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके बाद आयोजित कवि सम्मेलन में युवा कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

शाम के सत्र में वरिष्ठ कवि पद्मश्री लीला धर जगूड़ी ने स्वरचित कविताओं का पाठ किया और साथ ही कुछ नई रचनाएं भी साझा की। उनके नेतृत्व में काव्य संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न कवियों और लेखकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने अपनी रचनाओं से शब्दावली की शाम को साहित्यिक रंगों से सजाया।

इस अवसर पर आयोजित रंगारंग कार्यक्रमों में टीम नटरंग के नृत्य, आइना थिएटर ग्रुप की नाट्य प्रस्तुति और टीम नंदाज़ के गीतों ने खूब तालियां बटोरी।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

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