चुनावी रण में उतरे उम्मीदवारों का बंटा मत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद अपने बेटे को नहीं कर पाए वोट
देहरादून, 19 अप्रैल (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण में उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को शाम पांच बजे तक 53.56 फीसदी मतदान हुआ। मतदान को लेकर इस बार मतदाताओं का रुझान तो दिखा लेकिन इस बार का मत प्रतिशत 2019 के लोकसभा चुनाव से काफी कम रहा। पिछले लोकसभा चुनाव में कुल 58.01 प्रतिशत मत पड़े थे। हालांकि इस बार अभी और मत प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। हालांकि यह तो मतों की गिनती पूरी होने के बाद ही पता चलेगा। पांचों लोकसभा सीट पर कुल 55 उम्मीदवार मैदान में हैं।
खुद को वोट नहीं करने पाने का मलाल
लोकसभा के उम्मीदवारों की बात करें तो कई ऐसे उम्मीदवार हैं जिनका वोट दूसरे संसदीय क्षेत्र में पड़ा। ऐसे में ये उम्मीदवार खुद को वोट नहीं कर पाएं। इस बात का उन्हें मलाल रह गया। टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार माला राज्यलक्ष्मी शाह का वोट टिहरी के नरेंद्र नगर में था, जो पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट के अंतर्गत है। ऐसे में माला राज्यलक्ष्मी को पौड़ी गढ़वाल में वोट करना पड़ा। टिहरी गढ़वाल से कांग्रेस उम्मीदवार जोत सिंह गुनसोला का वोट किताबघर मसूरी में था। मसूरी क्षेत्र टिहरी संसदीय क्षेत्र में ही है। ऐसे में उन्हें खुद को वोट करने का मौका मिला।
इन्हें मिला खुद को वोट करने का अवसर
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार अनिल बलूनी का वोट नकोट पौड़ी में था, जो पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार गणेश गोदियाल का भी वोटिंग बूथ पौठाणी पौड़ी में ही था। ऐसे में दोनों उम्मीदवार को खुद को वोट करने का अवसर मिला। उधर, अल्मोड़ा लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार अजय टम्टा का वोट दुगालखोला अल्मोड़ा में ही पड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टम्टा का भी वोट बागेश्वर में पड़ा, जो अल्मोड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत है। ऐसे में ये दोनों उम्मीदवारों ने मतदान का लाभ उठाया।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद अपने बेटे को नहीं कर पाए वोट
हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का वोट डिफेंस कालोनी रायुपर विधानसभा में पड़ा, जो टिहरी लोकसभा सीट पर आता है। ऐसे में वे खुद को वोट नहीं कर पाएं और उन्हें टिहरी गढ़वाल में वोट करना पड़ा। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र विरेंद्र रावत का वोट हरिद्वार में ही पड़ा। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का वोट राजकीय प्राथमिक विद्यालय माजरा देहरादून में पड़ा। ये टिहरी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में हरीश रावत अपने बेटे के लिए वोट नहीं कर पाएं।
नैनीताल की भी यही स्थिति
नैनीताल-उधमसिंह नगर पर भाजपा के अजय भट्ट का वोट बाजार रानीखेत जिला अल्मोड़ा में पड़ा, जो दूसरे संसदीय क्षेत्र में है। ऐसे में वे खुद के लिए वोट नहीं कर पाएं। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार प्रकाश जोशी का वोट नैनीताल जिले के कालाढूंगी में गेबुवा बूथ पर पड़ा, जो उन्हीं का संसदीय सीट है।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/प्रभात
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