विधानसभा सत्र में राज्य के भविष्य पर चिंतन-मंथन, पक्ष-विपक्ष ने दोहराया विकास का संकल्प
देहरादून, 5 नवंबर (हि.स.)। राज्य विधानसभा सत्र के तीसरे दिन भी पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस बीच मूल निवास, अतिक्रमण, अवैघ कब्जों को पक्ष-विपक्ष आमने सामने नजर आए। रानीखेत विधायक डॉ प्रमोद नैनवाल की अपनी बात कुमाऊंनी बोली में शुरू की और जन कवि गिर्दा के गीत की कुछ लाइन सुना ही रहे थे कि विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि विधानसभा में अनुवादक न होने के कारण वे हिन्दी में अपनी बात रखें। डॉ नैनवाल ने फिर अपनी बात कुमाऊंनी बोली के बजाय हिन्दी में रखी। तीन दिनी सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच कई बार कड़ी तीखी बहस भी हुई लेकिन राज्य के विकास के कई अहम सुझाव भी सदन में रखे गए।
आज सदन का अतिरिक्त दिन था। दो दिन के सदन को एक और दिन के लिए बढ़ाया गया। सदन में पहले दिन से ही पहाड़ और मैदान केा लेकर बहस गर्म रही। देहरादून के धर्मपुर क्षेत्र के विधायक विनोद चमोली ने स्पष्ट कहा कि सरकार को मूल निवास लागू करने से कोई परहेज नहीं होना चाहिए। उन्होंने सदन में यह भी बात रखी कि उत्तराखंड पहला राज्य है, जिसमें मूल निवास के बजाय स्थाई निवास को प्राथमिकता दी जा रही है। इस मामले में आज भी रूक-रूक कर बहस चलती रही। भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान भी इस बात को लेकर गंभीर नजर आए कि अतिक्रमण व अवैध कब्जों से उत्तराखंड को मुक्त किया जाना जरूरी है। विधायक प्रीतम सिंह ने भी कहा कि अवैध कब्जे हटाए जाने चाहिए लेकिन वैध कब्जों को मान्यता दी जानी चाहिए।
आज सदन को देहरादून कैंट विधायक सविता कपूर, पौड़ी विधायक राजकुमार पोरी, बागेश्वर विधायक, अल्मोडा विधायक मनोज तिवाडी, यममेश्वर विधायक राजकुमार पोरी, अनुपमा रावत, आदेश चौहान आदि ने संबोधित किया। सदन में रानीखेत विधायक डॉ प्रमोद नैनवाल ने विधानसभा के इतिहास में पहली बार उत्तराखंड की कुमांऊनी बोली में अपनी बात रखने की कोशिश की लेकिन चकराता विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने उन्हें रोकते हुए कहा कि क्या डॉ नैनवाल अपनी बात कुमाऊंनी बोली में रख सकते है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी चुप रही, इसके बाद डॉ नैनवाल बोले कि क्या हिन्दी में बोलना है तो मुन्ना सिंह चौहान बाले कि ऐसी में सलाह है। इसके बाद डॉ नैनवाल ने सदन में हिन्दी में आगे की बात रखी।
विशेष सत्र में राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर अधिकतर विधायकों ने शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर ठोस कार्य करने की जरूरत पर जोर दिया। कहा कि यदि ये दोनों व्यवस्थाएं सुधर जाए तो राज्य तेजी से विकास की ओर अग्रसर होगा। अब तक तीनों दिनों के विधानसभा सत्र में राज्य में सटीक नीतियों को धरातल पर उतारने पर जोर दिया गया। इसके अलावा दैवीय आपदा के मानकों में भी सुधार की आवश्यकता जताई गई।
हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल

