रामायण-महाभारत के सभी गुणों को एकत्र करने पर जो समुच्चय बनता है, वह शिवाजी महाराज हैं: गोविन्द देव महाराज

रामायण-महाभारत के सभी गुणों को एकत्र करने पर जो समुच्चय बनता है, वह शिवाजी महाराज हैं: गोविन्द देव महाराज
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रामायण-महाभारत के सभी गुणों को एकत्र करने पर जो समुच्चय बनता है, वह शिवाजी महाराज हैं: गोविन्द देव महाराज


हरिद्वार, 17 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि व रामनवमी के उपलक्ष्य में एवं योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज के 30वें संन्यास दिवस के पावन अवसर पर स्वामी गोविन्ददेव गिरि महाराज के श्रीमुख से छत्रपति शिवाजी महाराज की यशोगाथा छत्रपति शिवाजी महाराज कथा का बुधवार को समापन पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ। इस अवसर पर स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने सभी देशवासियों को रामनवमी की शुभकामनाएं दी।

छत्रपति शिवाजी महाराज कथा के समापन अवसर पर स्वामी गोविन्द देव गिरि महाराज ने कहा कि रामायण और महाभारत के सभी गुणों को एकत्र करने पर जो समुच्चय बनता है, वह शिवाजी महाराज हैं। एक हजार वर्ष की गुलामी के पश्चात छत्रपति शिवाजी महाराज पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के स्वाभिमान को जगाया, अखिल भारत का विचार किया। उनका दृष्टिकोण था कि हमारे सभी तीर्थ मुक्त होने चाहिए और हिन्दुत्व का स्वाभिमान हम सबके भीतर जगना चाहिए। उनके द्वारा स्थापित हिन्दवी साम्राज्य के 350 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और मेरी वर्षों की इच्छा थी कि रामायण, भागवत आदि कथाओं की भांति छत्रपति शिवाजी महाराज की भी कथा होनी चाहिए, ताकि लोगों को सदाचार, पुरुषार्थ और राष्ट्रीय भावना का निरंतर संदेश मिलता रहे। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा के आयोजन के लिए स्वामी रामदेव व पतंजलि परिवार का धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने कहा कि इस कथा का उद्देश्य शिवाजी महाराज ने जो शौर्य, पराक्रम तथा प्रचण्ड पुरुषार्थ किया, वही प्रचण्ड-पुरुषार्थ देश के लोगों में गौ-माता, भारत माता की रक्षा व अखण्ड भारत के निर्माण के लिए जगे। ऐसे महापुरुष के शौर्य से सनातनधर्मी जगें और इस देश को शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक व वैचारिक सांस्कृतिक गुलामी से आजादी दिलाएं।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आज राम नवमी का पावन पर्व है। भगवान श्री राम आपके जीवन में प्रसन्नता, उल्लास, निरोगता और जीवन की सम्पूर्ण खुशियां प्रदान करें। उन्होंने कहा कि पतंजलि में हमारे ऋषियों के वंशधर, ऋषि परम्परा के भविष्य तैयार किए जा रहे हैं। उस ऋषि परम्परा को आगे बढ़ाना है, जीवित और जागृत रखना है।

कथा के पश्चात शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा शिवाजी महाराज के चरित्र पर आधारित नाट्य प्रस्तुति का प्रदर्शन किया गया। श्री रामजी की आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/वीरेन्द्र

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