छात्रों ने 'श्रीरामायणज्ञानसत्रम्' सेमिनार में पढ़े सौ शोधपत्र

छात्रों ने 'श्रीरामायणज्ञानसत्रम्' सेमिनार में पढ़े सौ शोधपत्र
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छात्रों ने 'श्रीरामायणज्ञानसत्रम्' सेमिनार में पढ़े सौ शोधपत्र


नई टिहरी, 01 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग में 'श्रीरामायणज्ञानसत्रम्' विषयक तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में विभिन्न संस्थानों से आए छात्र-छात्राओं ने सौ शोध पत्र पढ़े। उत्कृष्ट शोध-पत्र वाचन के लिए सात छात्र-छात्राओं को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत विवि आचार्य डॉ. कंचन तिवारी ने कहा कि रामायण से हमें परिवार और समाज में कर्तव्यों के उचित निर्वाह की प्रेरणा मिलती है। अयोध्या राज्य का शासन श्रेष्ठ और आदर्श शासन व्यवस्था का उत्कृष्ट उदाहरण है।

साहित्य विभाग की संयोजिका प्रो. चंद्रकला आरकोंडी, डॉ. शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, डॉ. शैलेंद्र नारायण कोटियाल, डॉ. अनिल कुमार ने रामायण की महत्ता को वर्णित किया।

संगोष्ठी में संस्कृत के 76, हिंदी के 19 व अंग्रेजी के 5 शोध पत्र पढ़े गये। प्रतिभागियों में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, बीवीजे संस्कृत महाविद्यालय, दून वैली कॉलेज, डीएवी कॉलेज कानपुर, पतंजलि गुरुकुल मुल्या गांव के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। ऑफलाइन मोड से प्राक्शास्त्री स्तर से अंकुश सिन्हा, शास्त्री से मोनिका नौगाईं व आचार्य से नितिन पाटीदार को पुरस्कार के लिए चुना गया, जबकि ऑनलाइन मोड प्राक्शास्त्री से ब्रह्मचारिणी अंकिता, शास्त्री से विवेकानंद एचवी तथा आचार्य से संजीव कुमार साहू व शिक्षा शास्त्री स्तर से गार्गी आर्या को पुरस्कार के लिए चुना गया। सभी को एक हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रदीप डबराल/वीरेन्द्र

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