विकास और आस्था के बीच टकराव की स्थिति, जागेश्वर में सड़क चौड़ीकरण का मामला
देहरादून, 03 मार्च (हि.स.)। विकास और विकास विरोधी कार्यकर्ताओं में आपसी विरोध होना संभव है। अल्मोड़ा के सड़कों के आड़े आ रहे देवदार के लगभग एक हजार पेड़ों के कटान पर तीन किलोमीटर सड़क का चौड़ीकरण रुका हुआ है। इस पर ग्रामीण आस्था के नाम पर विरोध कर रहे हैं।
अल्मोड़ा के आरतोला से जागेश्वर तक बनने वाली इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए लगभग एक हजार देवदार के पेड़ काटने की तैयारी है, लेकिन ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि दारूक वन में खड़े इन पेड़ों की पूजा करते हैं और इन्हें कटने नहीं देंगे। दूसरी ओर कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने चौड़ीचरण के क्षेत्र में आ रहे पेड़ों का चिन्हीकरण प्रारंभ कर दिया है जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि हमारा जागेश्वर धाम देवदार के जंगल के बीच स्थित है जिसमें हम दारूक वन के नाम से जानते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इसी दारूक वन में भगवान शिव ने अपना निवास बनाया लेकिन सरकार इस दारूक वन के अंतर्गत स्थित जागेश्वर धाम के विकास के लिए प्रयास कर रही है। भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले जागेश्वरद धाम के लिये मार्ग दुरूस्त करने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है जिसे धरातल पर उतारा जाना आवश्यक है और इसी के तहत आरतोला से जागेश्वर तक 3 किलोमीटर सड़क का चौड़ीकरण होना है। दो लेन सड़क बनाने के लिए लगभग एक हजार से अधिक देवदार के पेड़ सड़क के बीच आ रहे हैं, जिनके काटे बगैर इस सड़क का निर्माण होना संभव नहीं है जबकि स्थानीय लोगों ने बैठक कर कहा कि इस क्षेत्र में स्थित पेड़ों को भगवान शिव, पार्वती, गणेश और पांडव वृक्ष के रूप में पूजा जाता है।
इसी संदर्भ में क्षेत्रवासियों ने उप जिलाधिकारी एनएस नगन्याल को एक ज्ञापन दिया है जिसमें मांग की गई है कि मास्टर प्लान के अंतर्गत पेड़ों का कटान रोका जाए। ऐसा करने पर ग्रामीणों ने बड़े और कड़े आंदोलन की कार्यवाही की चेतावनी दी है। इस संदर्भ में अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण खण्ड विनोद गुप्ता का कहना है कि आरतोला-जागेश्वर सड़क का चौड़ीकरण होना है जिसके अंतर्गत आने वाले पेड़ों का चिन्हीकरण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पेड़ कटान के लिए लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है, इसके लिए वन विभाग की अनापत्ति तथा अन्य व्यवस्थाएं होती है जिनके बाद ही पेड़ों की कटान होगी लेकिन ग्रामीण इस मामले पर पूरी तरह अड़े हुए है कि वह वह पेड़ नहीं कटने देंगे। जिन लोगों ने पेड़ न कटने देने के लिए अपना विरोध प्रकट किया है उनमें शंकर, विनोद, पवन भट्ट, जगदीश प्रसाद, योगेश भट्ट आदि के नाम शामिल हैं। इन लोगों का कहना है कि हम इस क्षेत्र के पेड़ों को नहीं कटने देंगे जबकि विकास के लिए इन पेड़ों का कटना आवश्यक है।
इस संदर्भ में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ट्वीटर के माध्यम से जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के अंतर्गत सड़क चौड़ीकरण में पेड़ों के संभावित कटान का संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से सर्वे की पुन: समीक्षा करने का निर्देश दिया है जिसके कारण विकास और धार्मिक आस्था के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज
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