जहां संतों का समागम होता है, वह स्थान तीर्थ बन जाता है : कपिल मुनी

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जहां संतों का समागम होता है, वह स्थान तीर्थ बन जाता है : कपिल मुनी


जहां संतों का समागम होता है, वह स्थान तीर्थ बन जाता है : कपिल मुनी


जहां संतों का समागम होता है, वह स्थान तीर्थ बन जाता है : कपिल मुनी


















- श्री कबीर दास साहेब जी का 627वां प्राकट्य दिवस धूमधाम के साथ मनाया

ऋषिकेश, 22 जून (हि.स. )। श्री कबीर दास साहेब जी का 627वां प्राकट्य दिवस बड़ी धूमधाम के साथ कबीर चौरा आश्रम में मनाया गया। इस दौरान विद्वान संतों ने कहा कि जहां संतों का समागम होता है, वह स्थान तीर्थ बन जाता है।

कबीर चौरा आश्रम में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में कबीर चौरा आश्रम के परमाध्यक्ष कपिल मुनि महाराज ने कार्यक्रम में आए सभी महंत व संतों को सम्मानित किया। महंत कपिल मुनि महाराज ने कहा कि संत मिलन को जाइये, तज माया अभिमान ज्यों ज्यों पग आगे धरे, कोटिन यज्ञ समान जहां संतों का समागम हो वह स्थान तीर्थ बन जाता है। जिस प्रकार कबीर साहेब ने पूरे विश्व में रुढ़िवादिता और अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जागरूक किया, उसी प्रकार संत भी सबका उद्धार के लिए संसार में प्रकट होकर सबका उद्धार करते हैं।

इस अवसर पर कबीर चौरा आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन संत महंत प्रदीप दास महाराज को भी याद किया गया। संतों ने कहा कि भक्तों को सद्मार्ग पर ले जाने वाले संत हमेशा पूजनीय होते हैं। महंत प्रदीप दास त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनसे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस अवसर पर योगी आशुतोष, षडदर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी महाराज, शिवम महंत, सुतिक्षण मुनि, महंत सरविंदर सिंह, विजय सारस्वत, महंत विनय सारस्वत, महंत जतिद्रानंद, महिमानंद महाराज, रवि देव शास्त्री महाराज, स्वामी अखंडानंद, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, रामस्वरूप ब्रह्मचारी, आनंद स्वामी, स्वामी गणेश दास रामायणी, राजेंद्र दास, जतिन विरमानी आदि मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ विक्रम/सत्यवान/वीरेन्द्र

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