श्रावणी पर्व का सनातन संस्कृति में विशेष महत्व : स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि

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श्रावणी पर्व का सनातन संस्कृति में विशेष महत्व : स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि


हरिद्वार, 9 अगस्त (हि.स.)। सिद्ध पीठ श्री सूरत गिरी बांग्ला गिरीशानंद आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज के पावन सानिध्य में श्रावणी पर्व श्रद्धा के साथ मनाया। इस अवसर पर सामूहिक उपनयन संस्कार का आयोजन भी किया गया, जिसमें दर्जनों बुटकों ने उपनयन संस्कार के पश्चात वेदारंभ शिक्षा प्रारंभ की।

इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रावणी पर्व का सनातन संस्कृति में बड़ा महत्व है। इस दिन बटुक उपनयन संस्कार के पश्चात द्विज बनता है और वेद अध्ययन का अधिकारी हो जाता है।उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में चार वेद, चार वर्ण, चार पर्व है, जिसमें ब्राह्मण के लिए श्रावणी पर्व का विशेष महत्व है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक हिंदू को अपनी परंपराओं को और धर्म की रक्षा के लिए आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए। आचार्य पंडित शिवपूजन के नेतृत्व में संस्कार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में वेदपाठी ब्राह्मण, भक्त आश्रम के संत उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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