षड दर्शन साधु समाज की 1219वीं छड़ी यात्रा शुरू त्रिवेणी घाट से हर हर महादेव के उद्घघोष के साथ हुई रवाना

षड दर्शन साधु समाज की 1219वीं छड़ी यात्रा शुरू त्रिवेणी घाट से हर हर महादेव के उद्घघोष के साथ हुई रवाना
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षड दर्शन साधु समाज की 1219वीं छड़ी यात्रा शुरू त्रिवेणी घाट से हर हर महादेव के उद्घघोष के साथ हुई रवाना










त्रिवेणी घाट से हर हर महादेव के उद्घघोष के साथ हुई रवाना

-छड़ी करेगी चारों धाम के दर्शन : महंत गोपाल गिरी

ऋषिकेश, 25 जून (हि.स.)। षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति द्वारा संचालित देवभूमि उत्तराखंड के चारों धामों के लिए 1219वीं छड़ी यात्रा देवभूमि उत्तराखंड के ऋषिकेश त्रिवेणी घाट के संगम से प्रारंभ होकर विश्वविख्यात चारों धामों की देव भूमि के लिए रवाना हुई।

त्रिवेणी घाट से षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी के संचालन में आयोजित छड़ी यात्रा का शुभारंभ हर हर महादेव के उसे घोष के साथ किया गया। यह यात्रा उत्तराखंड के चारों धामों के दर्शन करने के उपरांत ऋषिकेश में ही समाप्त होगी।

षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी ने बताया कि समिति द्वारा संचालित देवभूमि उत्तराखंड के चारों धामों के लिए 1219वीं छड़ी यात्रा का शुभारंभ देवभूमि उत्तराखंड के ऋषिकेश त्रिवेणी घाट के संगम से प्रारंभ होकर विश्वविख्यात चारों धामों की देव भूमि के लिए रवाना हो रही है।

उल्लेखनीय की सन 805 ईस्वी से देवभूमि उत्तराखंड के चारों धामों में सर्वप्रथम छड़ी यात्रा भगवान श्री आदि गुरु शंकराचार्य जी के साथ अखाड़ा श्री पंच दस नाम आह्वान नागा संन्यासी के 550 नागाओं और श्री महंतों द्वारा ऋषिकेश स्थित गौरी शंकर मंदिर त्रिवेणी घाट से प्रारंभ की गई थी। आज भी यहीं से छड़ी यात्रा का शुभारंभ किया जाता है। भगवान आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा संपूर्ण भारत में सनातनी मंदिरों का जीर्णोद्धार अखाड़ा श्री शंभू पंचदस नाम आह्वान नागा संन्यासी के 550 नागाओं द्वारा पुनर्निर्माण श्री अखाड़ा शंभूपंच दश नाम आह्वान नागा संन्यासी द्वारा किया गया। उसी दौरान ऋषिकेश से संपूर्ण उत्तराखंड के मंदिर मठ का पुनर्निर्माण भी किया गया। तभी से यह यात्रा चारों धामों के कपाट खुलने के पश्चात चारों धामों में प्रतिवर्ष जाती है, जिसमें तेरह अखाड़े और 124 संप्रदाय के साधु संत सम्मिलित होते हैं। इसका उद्देश्य विश्व में सुख शांति की कामना है।

हिन्दुस्थान समाचार/विक्रम

/दधिबल

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