शरद पूर्णिमाः लोगों ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
हरिद्वार, 17 अक्टूबर (हि.स.)। शरद पूर्णिमा पर्व पर आज देश के कई प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने हर की पाैड़ी समेत नीलधारा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। गंगा बंदी होने के कारण गंगा के हर की पाैड़ी को छोड़कर सभी घाट सुने रहे। इस कारण लोगों को स्नान के लिए नीलधारा की ओर रूख करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि आजकल गंगा वार्षिक क्लोजर के लिए बंद है, लेकिन हर की पाैड़ी पर स्नान योग्य जल बनाए रखा गया है। एसडीओ अनिल कुमार निमेष का कहना है कि गंगा बंदी के दौरान हरकी पैड़ी पर जल बनाए रखने के लिए बंध बना दिया गया है। विशेषकर सुबह-शाम अधिक जल दिया जा रहा है।
उधर गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम का कहना है कि जल की मात्रा घटनी-बढ़नी नहीं चाहिए। हर की पाैड़ी पर निरंतर जल प्रवाहमान रहना चाहिए। यह ब्रिटिश काल के अनुबंध में तय है और सिंचाई विभाग को इसका पालन करना चाहिए।
गंगा में जल का प्रवाह कम होने के बाद भी लोग हर की पाैड़ी पहुंचे और गंगा में डुबकी लगाई, जबकि गंगा के अन्य घाटों पर जल नहीं होने के कारण वहां वीरानगी नजर आई। गंगा की मुख्य धारा नीलधारा में भी लोग डुबकी लगाने के लिए पहुंचे। लोगों ने गंगा स्नान के बाद मदिरों में जाकर देवदर्शन किए और दान आदि कर्म कर पुण्य अर्जित किया।
उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि आज के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण कला से उदित होता है और रात्रि में चन्द्रमा से अमृत की बरसात होती है। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। वहीं महर्षि वाल्मीकि का भी आज ही के दिन प्रकटोत्सव हुआ था। इस सभी कारणों के कारण शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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