गंगाभक्त स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन
पर्यावरण संरक्षण और गंगा की अविरलता पर हुआ विचार मंथन
हरिद्वार, 13 अक्टूबर (हि.स.)। गंगा की पवित्रता को अक्षुण्ण रखने को लेकर अपने जीवन की आहुति देने वाले स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की सातवीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने कहा कि सरकार, पर्यावरण मंत्रालय और न्यायालय मिलकर गंगा को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। हिमालय में विनाशकारी जल विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। भविष्य में इसके परिणाम काफी घातक होंगे।
मातृ सदन आश्रम, हरिद्वार में स्वामी सानंद की 7वीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी वैज्ञानिक से संत बने स्वामी सानंद ऊर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के गंगा की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष और उनके योगदान पर केंद्रित थी। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण और गंगा की अविरल धारा को बनाए रखने के महत्व पर गहन चर्चा की गई।
इस अवसर पर मुख्य संबोधन करते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि यदि स्वामी सानंद जी ने गंगा की अविरल धारा के लिए अपना अनशन और संघर्ष न किया होता, तो गंगा का प्रवाह भैरवघाटी पर रोक दिया जाता, जो गंगोत्री से मात्र 8-10 किलोमीटर नीचे है। स्वामी सानंद की तपस्या का परिणाम है कि आज 125 किलोमीटर का पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र गंगा के किनारे किसी भी अवरोध से मुक्त है। यह स्वामी सानंद जी की अमूल्य विरासत है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होगी। स्वामी शिवानंद ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले पर भी बात की।
पर्यावरणविद् डॉ. विजय वर्मा ने वेदों के पर्यावरण से जुड़ी शिक्षाओं के बारे में अपने विचार साझा किए। प्रोफेसर विनय सेठी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत विवेक और जिम्मेदारी की आवश्यकता पर बल दिया।
अन्य वक्ताओं में संजीव चौधरी, विकास झा और वसंत ने भी पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी पद्मावती ने स्वामी सानंद जी के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव और गंगा के लिए उनके संघर्ष की प्रेरणा को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन वैभवी वर्मा ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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