नैनी झील के चारों ओर होगा सुरक्षा दीवारों का पुनर्निर्माण, कराया जा रहा मृदा परीक्षण
नैनीताल, 4 दिसंबर (हि.स.)। नैनी झील की कई सुरक्षा दीवारें जीर्ण-क्षीर्ण हो गयी हैं। इसलिये इनकी मरम्मत-पुनर्निर्माण की मांग उठी रही है। इस संबंध में संबंधित सिचाई विभाग का कहना है कि इस कार्य से पूर्व झील किनारे सुरक्षा दीवारों को हुए नुकसान के कारणों के साथ भूगर्भीय गतिविधियों की जांच कराने हेतु झील की परिधि क्षेत्र में मृदा परीक्षण कराया जा रहा है। यह सर्वे रिपोर्ट आईआईटी रुड़की को भेजी जाएगी, जिसके सुझावों के बाद ही सुरक्षा दीवारों के उपचारात्मक स्वरूप को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि नगर में चूहों को लेकर काफी चर्चा है। कहा जा रहा है कि नैनी झील की दीवारों सहित नगर के आबादी क्षेत्रों में चूहे अपने बिल बनाने के लिये धरती को भीतर से खोखला कर रहे हैं। मल्लीताल बैंड स्टेंड के पास वर्ष 2023 में दीवार के ध्वस्त होने का कारण स्पष्ट तौर पर चूहों को माना गया था। साथ ही नैनी झील के माल रोड की ओर के पर्यटन विभाग के कार्यालय के पास हिस्से में बड़ा भूधंसाव हुआ है। इन्हीं कारणों से कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने बीते सितंबर माह में नैनी झील के निरीक्षण के बाद तत्काल दीवारों की मरम्मत का प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे।
सिचाई विभाग अधिशासी अभियंता डीके सिंह ने बताया कि इसके अतिरिक्त चूंकि झील की दीवारें लगातार पानी के संपर्क में रहनी हैं, इसलिये सिचाई विभाग चाहता है कि दीवारों के पुर्ननिर्माण के कार्य सामान्य दीवार निर्माण जैसे न हों, वरन इससे पहले मृदा परीक्षण करा लिया जाए। इस हेतु झील की लगभग 3.4 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में 12 मीटर तक गहरे छेद कर मिट्टी के नमूने लिए जा रहे हैं, जिन्हें आईआईटी रुड़की को वैज्ञानिक जांच हेतु भेजा जाएगा। इसके आधार पर ही दीवारों का निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सुरक्षा दीवारों के निर्माण के लिये पहले ही 44.35 करोड़ रुपये की प्राथमिक डीपीआर भी तैयार कर मुख्य अभियंता कार्यालय को भेजी गयी है। हालांकि आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की राय के बाद इसमें संशोधन संभव है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व वर्ष 2006-07 में मात्र लगभग 5 लाख रुपये से झील की दीवारों की मरम्मत की गयी थी। तब करोड़ों रुपये की झील संरक्षण परियोजना स्वीकृत होने के बावजूद परियोजना में झील की दीवारों की मरम्मत का कोई प्राविधान नहीं किया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

