भारतीय ज्ञान परम्परा पर रघुनाथ कीर्ति परिसर के साथ मिलकर करेंगे अनुसंधान: दीपक कुमार

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भारतीय ज्ञान परम्परा पर रघुनाथ कीर्ति परिसर के साथ मिलकर करेंगे अनुसंधान: दीपक कुमार


पौड़ी, 26 अगस्त (हि.स.)। संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उत्तराखंड संस्कृत आयोग, भारतीय ज्ञान परम्परा और वैदिक गणित विषय पर श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग के साथ मिलकर अनुसंधान करेगा।

संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने परिसर निदेशक प्रो.पी.वी.बी सुब्रह्मण्यम् और प्रमुख संकाय सदस्यों के साथ बैठक की। इस दौरान भारतीय ज्ञान प्रणाली और स्कूली शिक्षा में संस्कृत को अनिवार्य विषयों पर चर्चा की। इस मौके पर सचिव ने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय,अन्य संस्कृत कॉलेजों और संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित संगठनों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान पहल का प्रस्ताव रखा।

सचिव ने कहा कि हम उत्तराखंड के शिक्षण संस्थानों,महाविद्यालयों,विश्वविद्यालयों को नेशनल नॉलेज नेटवर्क से जोड़ेंगे जिससे नॉलेज शेयरिंग हो सके। प्रो.सुब्रह्मण्यम् ने उनके समक्ष हिमाचल प्रदेश का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि वहां प्राथमिक स्तर से संस्कृत अनिवार्य है। यदि राज्य सरकार भी यहां प्राथमिक स्तर से संस्कृत को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करे तो उससे संस्कृत भाषा का संवर्धन,संरक्षण व प्रसार भी होगा और रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।

सचिव ने कहा कि निश्चित ही हम प्राथमिक स्तर से संस्कृत को लागू करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने संस्कृत विद्वानों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि वैदिक मंत्रों की शक्ति में सभी लोग श्रद्धा व विश्वास रखते हैं और आज यह समय की मांग है। हमारे संस्कृत विद्वान उन मंत्रों के प्रभाव पर वैज्ञानिक अनुसंधान करें। इन मंत्रों का प्रभाव हमारे शरीर व मस्तिष्क पर कैसे पड़ता है। यदि हम इस प्रकार के शोध करेंगे तभी भारतीय ज्ञान परम्परा के महत्व और वैज्ञानिकता से हम विश्व को परिचित करा पाएंगे। वर्तमान समय में शोध करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा और ज्योतिष शास्त्र में विशिष्ट काम करने की नई दृष्टि लानी होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / वीरेन्द्र सिंह

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