गंगा नदी के किनारे सूख रहे जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी : डॉ.रुचि
-तीन दिवसीय गंगा प्रहरी कॉनक्लेव का हुआ आरंभ
ऋषिकेश,19 मार्च (हि.स.)। वर्तमान समय में गंगा नदी के किनारे सूख रहे जल स्रोतों के कारण जल जीव भी समाप्त हो रहे हैं। जबकि, अधिकांश जल जीव की प्रकृति के हिसाब से निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह चिंता ऋषिकेश में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय गंगा प्रहरी कॉनक्लेव का शुभारंभ के दौरान परमार्थ निकेतन में वैज्ञानिकों ने व्यक्त की।
मंगलवार को कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए वैज्ञानिक और कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. एसए हुसैन ने विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों से कहा कि इसी स्थान पर प्रथम गंगा प्रहरी सम्मेलन वर्ष 2018 में हुआ था और आज यह एक कारवां के रूप में बढ़ गया है। डॉ. रुचि बड़ाेला ने कहा कि गंगा और आर्द्रभूमि जो जल के मुख्य स्रोत है, उनका संरक्षण एक पवित्र कार्य है। यह सबके प्रयासों से ही यह कार्य सफल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में उभयचर प्राणियों की 7000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। नदी किनारे के सूख रहे जल स्रोतों के कारण जल जीव भी समाप्त हो रहे हैं। जबकि अधिकांश जल जीव की प्रकृति के हिसाब से निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनमें मेंढक के बच्चे भी मुख्य हैं जोक मांसभक्षी और शाकाहारी दोनों होते हैं, जिनकी संख्या लगातार जलवायु परिवर्तन के कारण घटती जा रही है,जिन्हें बचाया जाना भी अत्यंत आवश्यक है। इसी के साथ उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर भी चिंता व्यक्त की।
कार्यक्रम को गीता गैरोला, डॉ. संध्या जोशी और डॉ. संगीता एंगोम ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। गाैरतलब है कि कार्यक्रम में गंगा बेसिन में स्थित 11 राज्यों, 50 जिलों से आए लगभग 350 गंगा प्रहरी प्रतिभाग कर रहे हैं।
इस दौरान हेमलता खंडूड़ी, परिवा डोबरियाल, दीपिका डोगरा, एकता, प्रशांत कुमार, मुकेश कुमार, हेम पंत सहित अन्य गंगा प्रहरी भी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/विक्रम/सत्यवान/रामानुज
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