बांध विस्थापित हक-हकूक की लड़ाई को तैयार : भवानी प्रताप
-40 साल बीतने के बाद भी प्रतिकर की बाट जोह रहे विस्थापित
नई टिहरी, 18 नवंबर (हि.स.)। पुरानी टिहरी बांध विस्थापित संघर्ष समिति के अध्यक्ष भवानी प्रताप सिंह पंवार और सचिव विजय सिंह परमार ने कहा कि उत्तराखंड बने हुए 24 साल और पुरानी टिहरी शहर को पूरी तरह से डूबे हुए 21 साल हो गये हैं, लेकिन आज भी पुरानी टिहरी के बांध विस्थापितों की समस्याएं जस की तस हैं। इसके लिए समिति एक बार फिर संघर्ष करने को कमर कस चुकी है।
पत्रकारों से बातचीत में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार व टीएचडीसी हनुमंत राव कमेटी की सिफारिशों को लेकर मौन बैठी है। जनहित में जो भी निर्णय हनुमंत राव कमेटी के रहे, उन पर आज तक अमल नहीं हुआ है। पुरानी टिहरी से जो लोग नई टिहरी विस्थापित हुए हैं। वह यहां पर नगर पालिका के विभिन्न 13 वार्डों में बसे हैं। वार्ड 1 से 6 तक 5 रुपये प्रति वर्ग फीट के दर से प्रतिकर दिया गया है। कुछ को न्यायालय के प्रतिकर बढ़ाने के निर्देश पर 30 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से प्रतिकर दिया गया है।
अवशेष परिवारों को आज तक भी प्रतिकर नहीं दिया गया है, जिसके लिए कई लोग न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर हैं। लगभग 40 साल का समय व्यतीत होने के कारण कई परिवारों के मुखियाओं का स्वर्गवास हो चुका है। टिहरी बांध के राष्ट्रहित में निर्माण को लेकर पुरानी टिहरी के लोग अपना घर-बार सब कुछ दांव पर लगा चुके हैं, लेकिन आज तक हक हकूक उन्हें नहीं मिले हैं। झील में होने वाली स्वरोजगार व रोजगार की गतिविधियों में भी बांध प्रभावित बेरोजगारों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है।
हिन्दुस्थान समचार/प्रदीप डबराल//रामानुज
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