भैरव सेना के कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

भैरव सेना के कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
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भैरव सेना के कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन










ऋषिकेश, 27 जून (हि.स.)। भैरव सेना के कार्यकर्ताओं ने चमोली जिले के माणा गांव में स्थित सरस्वती मंदिर में महाराष्ट्र के एक धनी व्यक्ति द्वारा उसके मृतक भाई-बहन और स्वर कोकिला लता मंगेशकर की प्रतिमा स्थापित करवाने को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए माणा गांव के पूर्व प्रधान पीतांबर मोल्फा, मूर्तियां स्थापित करवाने वाले विश्वनाथ कराड का सांकेतिक पुतला दहन किया।

महानगर अध्यक्ष अन्नु राजपूत के नेतृत्व में भैरव सेना संगठन से जुड़े कार्यकर्ता हरिद्वार रोड स्थित त्रिवेणी घाट चौक पर एकत्रित हुए। यहां चमोली जिले के माणा गांव में स्थित पौराणिक सरस्वती मंदिर में महाराष्ट्र के विश्वनाथ कराड द्वारा प्रतिमा स्थापित करवाने को लेकर जोरदार प्रदर्शन कर नारेबाजी की।

विरोध प्रदर्शन में उपस्थित भैरव सेना के केंद्रीय अध्यक्ष संदीप खत्री ने कहा कि संगठन द्वारा पिछले तीन वर्षों से मूर्ति प्रकरण पर भारी विरोध राज्य स्तर पर दर्ज किया गया है। जिसको लेकर संवैधानिक रूप से ज्ञापन प्रक्रिया, पुतला दहन, अनशन के साथ संलिप्त व्यक्तियों से बातचीत कर प्रकरण पर संज्ञान लेकर निपटान का आग्रह भी किया गया। लेकिन प्रकरण में मुख्य रूप से सम्मिलित माणा गांव के पूर्व प्रधान पीतांबर मोल्फा तथा अन्य सम्बंधित व्यक्तियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। दबाव बनाकर संगठन द्वारा की जा रही कार्यवाही में भी अपने रसूख से हस्तक्षेप कर प्रकरण को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन भैरव सेना किसी भी दबाव और प्रभाव में नहीं आकर देवभूमि की शास्त्र संस्कृति और परंपराओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगा।

उन्होंने कहा कि संगठन 20 जुलाई के पश्चात स्वयं मूर्तियों को मंदिर और गर्भ गृह से बाहर करने का कार्य करेगा। मूर्तियों को मंदिर प्रांगण से बाहर करने के दौरान हर प्रकार के विरोध और संघर्ष का सामना करने के लिए संगठन हर प्रकार से तैयार है।

भैरव सेना की प्रदेश अध्यक्षा काजल चौहान के अनुसार संगठन द्वारा 2021 से सरस्वती नदी के उद्गम स्थल पर स्थित पौराणिक मंदिर में मां सरस्वती के साथ विश्वनाथ कराड के मृतक भाई-बहन, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, महाराष्ट्र प्रान्त से संबंधित संत तुकाराम तथा संत ज्ञानेश्वर की मूर्तियों को गर्भ गृह में स्थापित करने को लेकर लगातार अपना विरोध दर्ज कर रहा है। जिसको लेकर देहरादून, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर इत्यादि जगहों पर विभिन्न माध्यमों के द्वारा शासन प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाई गई।

विरोध प्रदर्शन में उपस्थित स्वामी केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि धर्मस्थल को पर्यटन में तब्दील करना बहुत ही निराशाजनक है।

हिन्दुस्थान समाचार/ विक्रम/सत्यवान/वीरेन्द्र

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