उत्तराखंड को संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग: हरीश रावत
हल्द्वानी, 11 अक्टूबर (हि.स.)। पहाड़ी आर्मी संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के माध्यम से ही पहाड़ की रक्षा संभव है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड को ब्रिटिश शासन के दौरान भी वही अधिकार प्राप्त थे जो आज संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में शामिल हैं। इससे न केवल यहाँ की जल, जंगल और जमीन की रक्षा होगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को नौकरियों में आरक्षण का भी लाभ मिलेगा।
श्री रावत ने आज एक निजी रेस्त्रां में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि ब्रिटिश सरकार के शासन में उत्तराखंड को ट्राईब स्टेट्स का दर्जा दिया गया था, जिसे आजादी के बाद 1971 में यूपी सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया। इस दौरान गढ़वाल और कुमाऊं के लोगों को मिलने वाले 6 प्रतिशत आरक्षण को भी खत्म कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड को छोड़कर अन्य सभी पहाड़ी राज्यों में 5वीं और 6वीं अनुसूची लागू है। रावत ने कहा कि उत्तराखंड को 5वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के साथ ही राज्य में सख्त भू कानून लागू करने की आवश्यकता भी लगातार बढ़ रही है। इस संदर्भ में आगामी 20 अक्टूबर को एक अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पर्वतीय समाज के इतिहासकार, समाजसेवी और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
पत्रकार वार्ता में श्री रावत के साथ संजय राठौर, कैलाश डालाकोटी और गौरव सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / अनुपम गुप्ता
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