जरूरत से अधिक पोषक भोजन ले रही हैं पहाड़ की गर्भवती महिलाएं, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी चिंताजनक

जरूरत से अधिक पोषक भोजन ले रही हैं पहाड़ की गर्भवती महिलाएं, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी चिंताजनक
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जरूरत से अधिक पोषक भोजन ले रही हैं पहाड़ की गर्भवती महिलाएं, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी चिंताजनक


नैनीताल, 07 दिसंबर (हि.स.)। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर की गृह विज्ञान की छात्रा पूजा पोखरिया ने पहाड़ की गर्भवती महिलाओं पर किये गये अपने शोध में चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनका कहना है कि पहाड़ की ग्रामीण गर्भवती महिलाओं की पारवारिक मासिक आय कम होने के बावजूद भी उनमें दैनिक पोषक तत्वाें की मात्रा आरडीए यानी अनुशंसित आहार भत्ते की मात्रा से अधिक है।

इसका कारण यह है कि वह अपने भोजन में मोटे अनाज, दाल, दूध, सब्जी, स्थानीय फलों आदि का उपभोग अपने आहार में करती हैं। ऐसा इसलिये कि उत्तराखंड के पारम्परिक मोटे अनाज, दाल, स्थानीय फलों व सब्जियों मे पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं जो गर्भवती महिलाओं व धात्री माताओं के लिए काफी लाभप्रद होते हैं।

पूजा के गृह विज्ञान विभाग की प्रो. लता पांडे के निर्देशन एवं अब अल्मोड़ा विवि के कुलपति बन चुके डीएसबी परिसर के प्रोफेसर रहे प्रो. सतपाल बिष्ट के सह निर्देशन में ‘नैनीताल जनपद के पर्वतीय क्षेत्रों की ग्रामीण गर्भवती महिलाओं के पोषण स्तर का अध्ययन’ विषय पर पीएचडी की उपाधि के लिये किये गये शोध में यह बात भी सामने आयी है कि पर्वतीय क्षेत्रों की ग्रामीण गर्भवती महिलायें अपने व शिशु के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक तो हैं, परंतु पर्वतीय क्षेत्रों में संसाधनों व स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।

कहीं स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक नहीं हैं तो कहीं आवश्यक मशीनों का अभाव है। शोध में यह संस्तुति की गयी है कि राज्य सरकार को आंगनबाड़ी केंद्रों में भी उत्तराखंड के स्थानीय खाद्यान्नों को अधिक महत्व देना चाहिए, तथा ग्रामीण गर्भवती महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को देखने की अधिक आवश्यकता है। पूजा को अपने इस शोध पर मौखिक परीक्षा के बाद शोध उपाधि की संस्तुति कर दी गयी है।

हिन्दुस्थान समाचार/नवीन जोशी/रामानुज

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