प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में शिवरात्रि के पर्व के उपलक्ष्य में हुई कार्यशाला
-डॉक्टर दवाइयों से लोगो के शरीर को स्वस्थ करते हैं , राजयोग मेडिटेशन से मन को तंदुरुस्त करता है : प्रो, मीनू सिंह
ऋषिकेश, 06 मार्च (हि.स.)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, गीता नगर, ऋषिकेश में शिवरात्रि के पर्व पर शहर के गणमान्य और विशिष्ट लोगों के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई।
बुधवार को आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर एम्स की डायरेक्टर डा. मीनू सिंह एवं जगतगुरु महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी महाराज कैलाश ने प्रतिभाग किया। ऋषिकेश सेंटर की प्रमुख संचालिका राजयोगिनी बाल-ब्रह्मचारिणी आरती दीदी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ से किया।
इस दौरान मुख्य अतिथि एम्स निदेशक डा. मीनू सिंह ने संस्था की बहनों का आभार व्यक्त किया व नव निर्मित तपस्या धाम के बनने की बधाई दी। उन्होंने कहा यहां जो राजयोग का कोर्स कराया जाता है, उससे मन को शांति मिलती है। जैसे हम डॉक्टर दवाइयों के द्वारा लोगों के शरीर को स्वस्थ करते हैं, ऐसे ही राजयोग मेडिटेशन से मन को तंदुरुस्त किया जाता है। यह जीवन जीने की कला व पारिवारिक संबंधों में ताल-मेल सिखलाता है।
विशिष्ट अतिथि स्वामी ने पाप की परिभाषा समझायी, उन्होंने कहा जिस काम को करने से स्वयं व दूसरों को दुख हो वह पाप है। हमारी 10 इंद्रियां हैं जिनमें पांच कर्मेंद्रियां पांच ज्ञानेंद्रिय है पाप दोनों से होता है अर्थात पाप हाथ से भी होता है और कानों से भी होता है पाप से छूटने के लिए क्या करना है यह किसी को पता नहीं, इसलिए गलती होती रहती हैं। अपने गुरुजी के लिए गलत सोचना व बोलना भी पाप है।
आरती दीदी ने शिवरात्रि के वास्तविक अर्थ पर प्रकाश डाला और बताया कि मनुष्य बड़ी श्रद्धा व उत्साह से शिवरात्रि मनाते हैं। अर्धरात्रि से ही लाइन में लग जाते हैं। शिवजी पर जल व दूध के साथ-साथ अर्क के फूल, धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाते हैं, जो कि सामान्यत: देवी देवताओं पर नहीं चढ़ाए जाते, क्या कभी सोचा है क्यों? देवी देवताओं पर खुशबूदार फूल व मिठाई एवं शिव पर भागं, धतूरा इत्यादि, बेर अर्थात अन्दर की ईष्या बैर-भाव को चढ़ाना, धतूरा विषय-विकारों के अर्पण का प्रतीक है। भांग का अर्थ है कि परमात्मा के प्यार का नशा करना है। स्थूल भांग का नहीं, तभी हमारे भंडारे भरपूर होंगे। बैल पत्र तीनों कालों को दर्शाते हैं कि आदि में हम ही देवी-देवता थे और हमने फिर से उस देव पद को प्राप्त करना है।
शिवलिंग पर तीन लाइन व बिंदु दर्शाता है कि शिव तीनों लोकों के स्वामी हैं। त्रिलोकी नाथ है, स्वयंभू हैं। जन्म मरण में नहीं आते। वह सृष्टि के अंत में तन का आधार लेते हैं, जिसका शास्त्रों में भी गायन है कि परमात्मा ने बूड़े ब्राह्मण के तन में प्रवेश किया व साधु-बनिया पहचान नहीं पाया। इस समय चारों ओर अंधेरा है व परमात्मा शिव का धरा पर अवतरण अज्ञानता के अन्धकार को मिटाने शिवरात्रि पर होता है।
कार्यक्रम में मंच का संचालन कुशलता पूर्वक प्रकाश भाई द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। ढालवाला सब सेंटर की प्रमुख संचालिका निर्मला बहन ने अतिथियों का स्वागत मंगल गीत व पुष्प गुच्छ से किया।
इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यक्ति व महिलाएं उपस्थिति रही। इसमें मुख्यत: प्रिंसिपल अनीता रियाल, प्रिंसिपल कमलेश शर्मा, कुसुम जोशी, डॉ. एन बी श्रीवास्तव, वरिष्ठ कल्याण के सदस्य के एस राणा आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम
/रामानुज
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