परमार्थ निकेतन में आयोजित हुआ योग में फाउंडेशन कोर्स
-योग ही है स्वस्थ जीवन का आधार-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक और महान विचारक बाला साहब देवरस की जयंती पर शत्-शत् नमन
ऋषिकेश, 11 दिसम्बर (हि.स.)। परमार्थ निकेतन में आयोजित योग में फाउंडेशन कोर्स का समापन हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सान्निध्य में भारत सहित इटली, जर्मनी, स्पेन, नार्वे, अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा आदि देशों से आये योग प्रतिभागियों को स्वामी के आशीर्वाद स्वरूप रुद्राक्ष की माला और सर्टिफिकेट्स भेंट किये गये।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विश्व के अनेक देशों से आये जिज्ञासुओं को योग के साथ प्रकृति योग का संदेश देते हुए कहा कि हम सभी को मिलकर प्रकृति, संस्कृति और संतति कि लिये कार्य करना होगा। योग के साथ सभी को जंगल, ज़मीनें तथा प्राकृतिक संसाधन के लिये कार्य करना होगा क्योंकि प्रकृति स्वस्थ तो राष्ट्र स्वस्थ और समृद्ध।
परमार्थ निकेतन में योग में फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से भारतीय संस्कृति, दर्शन, पंचकोश सिंद्धान्त, सांख्य योग, समख्य दर्शन, पुरुष- प्रकृति, बंधन और मुक्ति, अष्टांग योग, हठयोग, योग के अनुप्रयोग, यौगिक आहार व जीवन शैली व समग्र स्वास्थ्य आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही योग प्रशिक्षक प्रार्थना, प्राणायाम, यज्ञ, योग दर्शन, वैदिक मंत्र उच्चारण, दर्शन, ध्यान, सत्संग व गंगा आरती के माध्यम से योगी यौगिक व आध्यात्मिक दिनचर्या को आत्मसात कर रहे हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं को योग को आत्मसात करने का संदेश देते हुए कहा कि योग अर्थात् ‘एक्य’ या ‘एकत्व’ व जोड़ना’ है, जो विभिन्न संस्कृतियों व राष्ट्रों को आपस में जोड़ता है। गीताजी में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ‘‘योगः कर्मसु कौशलम्’’ अर्थात् योग से कर्मों में कुशलता आती है। व्यावाहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक सर्वश्रेष्ठ साधन है।
विश्व के अनेक देशों से आये योगियों को योग के प्रसिद्ध ग्रंथ पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र एवं वेदव्यास द्वारा रचित योगभाण्य, नागेश भट्ट द्वारा रचित योग सूत्रवृत्ति आदि के माध्यम से योग की जानकारी प्राप्त करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि योग के आठ आयामों के यम, नियम, आसन, प्रणायाम, धारणा, ध्यान, प्रात्याहार, समाधि के साथ जीवन के सभी आयामों से प्रकृति, पर्यावरण व अपने राष्ट्र की सेवा करें। योग के माध्यम से जीवन शक्ति एवं अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर उसे मानवता की सेवा हेतु समर्पित करें।
स्वामी ने कहा कि योग के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दे क्योंकि हमारे आस-पास का पर्यावरण स्वस्थ व सुरक्षित नहीं होगा तो हम भी स्वस्थ नहीं रह पाएंगे। प्रदूषण एवं भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण मन और शरीर अत्यधिक तनाव, रोगग्रस्त होते जा रहे हैं। व्यक्ति के अंतर्मुखी और बहिर्मुखी स्थिति में असंतुलन आ रहा है, इसलिये मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य अत्यंत आवश्यक है। योग हमारी बदलती जीवनशैली में एक चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद कर सकता है।
स्टेफ़ानो लिउज़ो, इटली, अभिजीत पारवी, भारत, लियो स्टारित्ज़बिक्लर, जर्मनी, लिनस डेसेकर, जर्मनी, बेरेनिके सोमर, जर्मनी, सुरेंद्र सिंह, भारत, रोहन जैन, भारत आदि योग जिज्ञासुओं ने सहभाग किया।
वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया और सर्वप्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन 21 जून, 2015 को किया गया था, जिसने विश्व भर में कई कीर्तिमान स्थापित किये। वर्तमान में योग भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिये प्रसांगिक बना हुआ है।
हिन्दुस्थान समाचार/विक्रम
/रामानुज
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।